2010-08-16 17:17:42

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 15 अगस्त को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय भाईयो और बहनो,
आज, ईश्वर की माता के स्वर्गारोहण के समारोह में, हम उनकी पार्थिव से स्वर्गिक अवस्था में पार होने का पर्व मना रहे हैं जिन्होंने विश्वासपूर्वक, देह में आरम्भ हुए ईश्वर के जीवन को स्वीकार किया। कुँवारी माता मरियम की आराधना कलीसिया की यात्रा में आरम्भ से ही है तथा चौथी सदी से ही मरियम पर्व मनाया जाना प्रतीत होता है। कुछ लोग मुक्ति इतिहास में कुँवारी की भूमिका की वंदना करते हैं जबकि अन्य लोग उनके पार्थिव अस्तित्व की मुख्य घटनाओं का समारोह मनाते हैं।
आज के पर्व की सार्थकता धर्मसैद्धांतिक परिभाषा के सारांश में निहित है जिसकी घोषणा वंदनीय संत पापा पियुस बारहवें ने 1 नवम्बर 1950 को की थी और जिसकी इस वर्ष 60 वीँ वर्षगाँठ मनायी जा रही है। निष्कलंक कुँवारी मरियम, ईश्वर की माता, पार्थिव जीवन की अवधि पूरी करने पर आत्मा और शरीर सहित स्वर्गिक महिमा में आरोहित कर ली गयीं। हर युग के चित्रकारों और कलाकारों ने ईश्वर की माता की पवित्रता की तस्वीरें बनाई हैं चित्रकारी की हैं जो अनके चर्चों और तीर्थालयों में शोभायमान हो रही हैं। कवियों, लेखकों और संगीतकारों ने अपने भक्तिगीतों और भजनों से कुँवारी के सम्मान में अपनी श्रद्धा प्रकट की है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक, सब पवित्र जन उन्हें स्वर्ग में माँ कहकर उनकी मध्यस्थता की याचना करते हैं, जो अपनी बाँहों में ईश्वर के पुत्र को धारण करती है और जिनके संरक्षण की छाया में सम्पूर्ण मानवजाति शरण पाती है। इस प्राचीन प्रार्थना के द्वारा- आपके संरक्षण में, हमारी शरण, हमारी शरण, ईश्वर की पवित्र माँ, ईश्वर की पवित्र माँ, जरूरत के समय, हमारी प्रार्थना को अस्वीकार मत कर लेकिन हमेशा हर प्रकार के ख़तरों से हमें बचा।
और, आज के इस समारोही पर्व के दिन के सुसमाचार पाठ में संत लुकस कुँवारी माता मरियम के द्वारा मुक्ति के पूरा होने का वर्णन करते हैं। वे, जिनके गर्भ में, सर्वशक्तिमान छोटे बन गये, देवदूत के द्वारा येसु के जन्म की घोषणा करने के बाद, बिना देरी अपनी कुटुम्बिनी ऐलिजाबेथ से मिलने के लिए चल पड़ी ताकि उनके लिए संसार के मुक्तिदाता को ला सके। और वास्तव में, जब ऐलिजाबेथ ने मरियम का अभिवादन सुना तो बच्चा उनके गर्भ में आनन्द के मारे उछल पडा और वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गयी। उन्होंने ईश्वर की माता को पहचान लिया जो विश्वास करती थीं कि उनसे जो कहा गया है वह ईश्वर के द्वारा पूरा किया जायेगा। ये दो महिलाएँ दिव्य प्रतिज्ञाओं के पूरा होने की प्रतीक्षा कर रहीं थीं। वे मुक्ति का आनन्द तथा ईश्वरीय राज्य के आने की खुशी का पूर्वानुभाव करती हैं।
प्रिय भाईयो और बहनो, हम विचार करें कि उनके बारे में जैसा कि प्रभु सेवक संत पापा पौल षष्टम ने कहा- वे स्वर्ग में आरोहित कर ली गयीं हैं लेकिन उन्होंने मध्यस्थता और मुक्ति के लिए अपने मिशन को नहीं छोड़ा है। हम प्रेरितों की मार्गदर्शिका, शहीदों की सहायिका, संतों का प्रकाश उनकी ओर प्रार्थना में आते हैं। इस जीवन में हमारे साथ संयुक्त होने के लिए अनुनय विनय करते हैं ताकि हमें स्वर्ग की ओर देखने के लिए वे हमारी सहायता करें और एक दिन अपने पुत्र येसु के समीप हमारा अभिवादन करे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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