2010-08-16 13:56:49

काथलिक समुदाय ने स्वर्गोद्ग्रहण त्योहार मनाया


रोम, 16 अगस्त, 2010 (सीएनए) 15 अगस्त रविवार को विश्व के करोड़ों काथलिकों ने येसु की माता मरिया के सशरीर स्वर्ग में उठाये जाने का त्योहार मनाया।
इसे मरिया के स्वर्गोद्ग्रहण के त्योहार के रूप में जाना जाता है। काथलिकों का विश्वास है कि माता मरिया को येसु ने सशरीर स्वर्ग में उठा ले गये।
सन् 1950 ईस्वी में वन्दनीय संत पापा पीयुस 12वें ने इस विश्वास की घोषणा की और कहा कि " अति निष्कलंक कुँवारी माता मरिया ने अपना लौकिक जीवन समाप्त किया और पूरे महिमा के साथ शरीर और आत्मा के साथ स्वर्ग में उठा ली गये। "
संत पापा पीयुस 12वें ने जिस प्रेरितिक संविधान के द्वारा इस सिद्धांत की घोषणा की उसका नाम था " मुनीफिचेनतीसिमुस देयुस " अर्थात " अति उदार ईश्वर। " इस संविधान में इस बात का ज़िक्र है कि पूरी काथलिक परंपरा में किस तरह से लोगों ने माता मरिया के स्वर्गोद्ग्रहण का त्योहार को बरकरार रखा था।
इसमें इस बात की भी चर्चा है कि कलीसिया के विद्वानों ने बाइबल के आधार पर इस बात का वर्णन किया है कि माता मरिया अपनी मृत्यु के बाद सशरीर स्वर्ग में उठा ली गयी।
हालाँकि, मरिया के सशरीर सशरीर स्वर्ग में उठाये जाने की बात को बाइबल में पूरी स्पष्टता से नहीं लिखा गया है लेकिन प्रकाशना ग्रंथ के लेखक ने 12 वें अध्याय में इस बात की चर्चा ज़रूर की है कि एक महिला आकाश में दिखाई पड़ी जो ‘सूर्य का वस्त्र’ ओढ़े थी।


इसमें कहा गया है कि चंद्रमा उसके पैर तले था और उसके सिर में 12 तारों का मुकुट। काथलिकों के पश्चिमी परंपरा के प्रतीकों की व्याख्या करने वाले विद्वानों के अनुसार यह महिला और कोई दूसरी नहीं माता मरियम ही हैं।
काथलिक कलीसिया की पूर्वी परंपरा के विद्वान दमसकुस के संत योहन का कहना है कि माता मरिया ने बचपन से ही अपने को अपने को कुँवारी रखा और अपनी मृत्यु के बाद भी उसका शरीर नष्ट होने से बचा रहा। और यह उचित ही था क्योंकि उन्होंने ईशपुत्र येसु को जन्म दिया उसके शरीर का सर्वनाश न हो पर वह स्वर्गीय निवास में सुरक्षित रहे।
माता मरिया के स्वर्गोद्ग्रहण के दिन को रोमन और पूर्वी कलीसिया दोनों ही अति पवित्र मानते हैं और इस दिन पवित्र मिस्सा में सहभागी होना प्रत्येक काथलिक के लिये अनिवार्य है।










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