संत अल्फोंसा के जन्म के शतवर्षीय समारोह में भारत की राष्ट्रपति शामिल हुईं
भारत की प्रथम महिला संत, संत अल्फोंसा के जन्म के शतवर्षीय समारोही वर्ष के उदघाटन पर
केरल के भारंनानगनम में 12 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा
देवीसिंह पाटिल शामिल हुईं। उन्होंने लगभग एक लाख लोगों को सम्बोधित करते हुए महात्मा
गाँधी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा कि एक संत अकेले रहते हुए अपने विचार से लोगों
की सेवा कर सकता है और ऐसा व्यक्ति लाखों में एक होता है। संत अल्फोंसा ऐसी एक व्यक्ति
हैं जिन्होंने अपने कोन्वेन्ट के परिसर में रहते हुए भी असाधारण उदारता, धैर्य और क्षमा
का उदाहरण प्रस्तुत किया। राष्ट्रपति महोदया ने इस अवसर पर संत अल्फोंसा की समाधि पर
श्रद्धा सुमन अर्पित किया। उन्होंने 100 शैय्यावाले अस्पताल का शिलान्यास किया और कैंसर,
किडनी तथा दिल की बीमारी से पीड़ित निर्धन लोगों की सहायता के लिए एक योजना का शुभारम्भ
किया। फ्रांसिस्कन कलारिस्ट धर्मबहन संत अल्फोंसा का निधन 1946 में 36 वर्ष की
आयु में हो गया था। उनकी मध्यस्थता से होनेवाली चंगाई और कृपाओं के कारण सैकड़ों हजारों
लोग भारंनानगनम स्थित संत की समाधि पर आने लगे और यह केरल में सर्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल
बन गया है। संत पापा जोन पौल द्वितीय ने धर्मबहन अल्फोंसा को अपने भारत दौरे के समय 1986
में धन्य घोषित किया था तथा संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उन्हें सन 2008 में मिशन रविवार
के दिन संत घोषित किया।