भारतः दलितों के लिये भारत के ख्रीस्तीयों द्वारा दस अगस्त को "काला दिन" घोषित
भारत के ख्रीस्तीयों ने ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों के विरुद्ध भेदभाव को समाप्त करने
हेतु 10 अगस्त को ब्लैक डे अर्थात् "काला दिन" घोषित किया है। कलीसियाओं की राष्ट्रीय
समिति तथा दलित ख्रीस्तीयों की अखिल भारतीय समिति ने इस दिन की घोषणा की है ताकि ख्रीस्तीय
एवं मुसलमान दलितों की व्यथाओं को प्रकाशमान किया जा सके तथा उन्हें भी अन्य दलितों के
समान सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें। 10 अगस्त, अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित
संविधान के तीसरे अनुच्छेद में निहित आदेश की याद दिलाता है जो सन् 1950 में जारी किया
गया था। इसके तहत अनुसूचित जातियों में केवल हिन्दू दलितों को शामिल किया गया था तथा
केवल उन्हें ही सरकारी सुविधाओं का आश्वासन दिया गया था। तदोपरान्त सन् 1956 एवं सन्
1990 में ये सुविधाएँ सिक्ख एवं बौद्ध धर्म के दलितों तक विस्तृत कर दी गई किन्तु ख्रीस्तीय
एवं इस्लाम धर्म के दलित अभी भी इन सुविधाओँ से वंचित हैं। इस अन्याय के विरुद्ध
भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों सहित अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदाय समय समय पर अपनी आवाज़ उठाते
रहे हैं तथा वर्तमान प्रधान मंत्री सहित पूर्व के सभी प्रधान मंत्रियों से ख्रीस्तीय
एवं मुसलमान दलितों के अधिकारों की रक्षा की मांग करते रहे हैं। भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय
सम्मेलन में अनुसूचित जातियों के लिये कार्यरत समिति के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष मरमपुडी
जोजी ने कहा कि भारतीय अधिकारी अब तक खोखली प्रतिज्ञाएं ही करते रहे हैं जबकि ठोस रूप
में उन्होंने ख्रीस्तीय एवं मुसलमान दलितों को समान अधिकार देने के लिये कुछ नहीं किया।
उन्होंने कहा कि इसीलिये भारतीय ख्रीस्तीयों ने 10 अगस्त को "काला दिन" घोषित किया है
ताकि लोगों में तथा सरकार में भी इस अन्याय के विरुद्ध चेतना जागृत की जा सके। धर्माध्यक्ष
जोजी ने ख्रीस्तीयों से इस दिन प्रार्थना अपील की है तथा गिरजाघरों एवं कलीसियाई भवनों
पर काले ध्वज फहराने का सुझाव भी दिया है। कई स्थलों पर पत्रकार सम्मेलनों का भी आयोजन
किया गया है।