रफाएल की कृति सग्रहालय के लिये नहीं बल्कि पूजन विधि के
लियेः लोसेर्भातोरे रोमानोवाटिकन सिटी, 9 अगस्त, 2010 (ईडब्ल्यूटीएन) वाटिकन समाचारपत्र
‘लोसेर्भातोरे रोमानो’ के अनुसार प्रसिद्ध चित्रकार रफाएल की कृति येसु का रूपान्तरण
अगर सिर्फ संग्रहालय में देखने की वस्तु बन कर रह गयी है और लोगों ने इसे अपने जीवन
में कोई स्थान नहीं दे पाया है तो यही समझा जाना चाहिये कि इतिहास की एक सबसे सुन्दर
तस्वीर ने अपने बोलने की क्षमता खो दी है। उक्त बातें ‘लोसेर्भातोरे रोमानो’ के मार्को
अगोस्तीनी ने उस समय कहीं जब 6 अगस्त को येसु के रूपान्तरण का त्योहार मनाया गया। उन्होंने
बताया कि रफाएल ने सतरहवी शताब्दी में लकड़ी में अपने जीवन के अंतिम चार वर्षों में जो
तस्वीर बनायी वह येसु के रूपान्तरण की थी। उन्होंने इसकी प्रेरणा संत मत्ती के सुसमाचार
से पायी थी। इस तस्वीर के उपरी भाग में येसु, मूसा और एलियस नबी हैं, और निचले भाग में
येसु के तीन प्रेरित पीटर जेम्स और जोन के। इस तस्वीर में उस अपदूतग्रस्त लड़के की तस्वीर
भी है जिसे येसु ने चंगा किया था। ‘लोसेर्भातोरे रोमानो’ के मार्को ने बताया की रफाएल
की मृत्यु के बाद सन् 1620 ईस्वी से ही इस तस्वीरको वाटिकन संग्रहालय ‘पिनाकोतेका’ या
‘तस्वीर संग्रहालय’ में रखा गया है। इस तस्वीर के बारे में रफाएल के जीवन पर किताब लिखने
वाले लेखक और चित्रकार जोरजियो बसारी ने कहा था कि रफाएल की यह कृति सबसे सुन्दर, सबसे
प्रभाकारी और सबसे पावन है। मार्को अगोस्तिनी ने कहा कि आज लोगों को चाहिये कि वे जब
इस तस्वीर को देखें तो वे इसे अपने दिल में ग्रहण करें और उस पर गहराई से चिन्तन करें
ताकि इसमें निहित रहस्य को समझ सकें। |