भारत के कानून आयोग ने धर्मपरिवर्तन प्रक्रिया पर लोगों की राय माँगी
जबलपुर, 7 अगस्त, 2010 (भोपाल) भारत के कानून आयोग ने धर्मपरिवर्तन प्रक्रिया पर लोगों
की राय जानने की इच्छा व्यक्त की है ताकि इस संवेदनशील मामले पर एक राष्ट्रीय नीति बनायी
जा सके। कानून आयोग ने लोगों की राय जानने संबंधी कदम उस समय बढ़ाये जब केरल हाईकोर्ट
ने कहा कि हिन्दु विवाह अधिनियम 1955 में धर्मातरण या पुनर्धर्मातरण का विवरण स्पष्ट
रूप से नहीं है। इस समय केरल का हाईकोर्ट एक हिन्दु व्यक्ति और एक ईसाई महिला के
शादी विच्छेद के बारे में सुनवाई कर रहा था। उधर अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति हिन्दु
धर्म स्वीकार कर सकता है पर इस संबंध में सरकार के पास कोई निश्चित और स्पष्ट या प्रचलित
नियम उपलब्ध नहीं है । इसी के मद्देनज़र कानून कमीशन ने इस बात के लिये लोगों की राय
माँगी है जिसे कानून आयोग के पास 20 अगस्त तक पहुँच जाना है। अदालत की इस कदम की सराहना
करते हुए भोपाल के महाधर्माध्यक्ष लेओ कोरनेलियो ने कहा कि यह एक सुनहरा अवसर है जब ईसाई
समुदाय अपना योगदान करे ताकि धर्मातरण के मामले में एक उचित और न्यायपूर्ण नीति निर्धारण
हो सके जो धर्मसंबंधी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करे।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश
सहित चार अन्य राज्यों में धर्मातरण पर रोक संबंधी नियम लागू किये गये हैं। कुछ राज्यों
में उन व्यक्तियों को सजा देने के भी प्रावधान जोड़े गये हैं जो बिना सूचना के धर्मातरण
करता हो। उधर मध्यप्रदेश ईसाई महासभा ने 29 जुलाई से एक अभियान चलाया ताकि सरकार
पर इस बात का दबाव पड़े कि वे धर्मातरण को लेकर ईसाइयों पर अत्याचार न करें और न होने
दें। धर्मप्रांत के प्रवक्ता आनन्द मुत्तुंगल ने बताया कि इस मुद्दे के संबंध में करीब
1 हज़ार ईमेल भेजे जा चुके हैं ताकि लोग इस पर अपनी राय दें।