2010-07-31 12:52:52

भारत और दक्षिणी अमरीकी देशों के मजबूत होने की संभावना


नई दिल्ली, 31 जुलाई, 2010 (बीबीसी) इंटर अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) का कहना है कि दक्षिणी अमरीकी और कैरिबायाई देशों की अर्थव्यवस्था में चीन की जो भूमिका रही है उसकी जगह अब भारत ले सकता है।
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी मोरासियो मिस्किटा मोरिरा ने अपने अध्ययन में बताया है कि जिस तरह चीन की अर्थव्यवस्था के तेज़ी पकड़ने का गहरा असर दक्षिणी अमरीकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ा था उसी तरह का असर भारत का भी होने वाला है।
उनका कहना है कि अमरीकी देशों के उत्पादों और सेवाओं के लिए भारत एक बहुत बड़े बाज़ार के रूप में उभर रहा है जिस तरह चीन कुछ साल पहले उभरा था।
वर्ष 1999 तक भारत और चीन के व्यापारिक संबंध लैटिन अमरीकी देशों के साथ काफ़ी कम और एक बराबर ही थे लेकिन 2000 से लेकर 2010 के बीच चीन का इन देशों जैसे बोलिविया, वेनुज़ुएला, कोलंबिया, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, मैक्सिको जैसे देशों के साथ चीन अपने व्यापारिक संबंध मज़बूत बना चुका है
आईडीबी के शोध में दिए गए आँकड़ों के मुताबिक़ दक्षिण अमरीकी देशों के कुल व्यापार में वर्ष 2007 में चीन का हिस्सा 6.3 प्रतिशत था लेकिन भारत का हिस्सा सिर्फ़ 0.6 प्रतिशत.
मोरिरा का कहना है कि लैटिन अमरीकी माल के निर्यात पर भारत में लगने वाला शुल्क बहुत ज्यादा है, इसी तरह भारत सामान के आयात पर लैटिन अमरीका में काफ़ी शुल्क देना पड़ता है, उनका कहना है कि एक तो दूरी की वजह से परिवहन का ख़र्च अधिक है ऊपर से ड्यूटी अधिक लगने से व्यापार मुश्किल हो जाता है।
उनका कहना है कि भारत और दक्षिण अमरीकी देशों को चाहिए कि वे जल्द से जल्द इन समस्याओं को दूर करें ताकि व्यापार अबाध गति से हो सके.
ब्राज़ील दक्षिण अमरीका में भारत का सबसे निकट सहयोगी है और मोरिरा का कहना है कि ब्राज़ील के उदाहरण से दूसरे लैटिन अमरीकी देशों को भी सीखना चाहिए।
1990 से लेकर 2008 के बीच में ब्राज़ील और भारत के बीच कुल 23 बड़े समझौते हुए हैं और दोनों देशों के बीच कंपनियों के स्तर पर भी काम सहयोग हो रहा है।











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