2010-07-26 16:58:45

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 25 जुलाई को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ हमारे सामने येसु को प्रस्तुत करता है जो अपने शिष्यों से कुछ दूरी पर प्रार्थना में लीन हैं। जब वे प्रार्थना करना समाप्त कर चुके तब शिष्यों में से एक ने उनसे कहा- प्रभु, हमें भी प्रार्थना करना सिखाइये। येसु ने इस अनुरोध का न तो विरोध किया न ही विचित्र या अनोखा सूत्र बताया लेकिन बहुत ही सरलता से उन्होंने कहा- जब तुम प्रार्थना करो तब कहो- हे हमारे पिता, और उन्होंने अपनी प्रार्थना, जिसके द्वारा वे ईश्वर को अपना पिता कहकर सम्बोधित करते हैं इसी के आधार पर हे हमारे पिता प्रार्थना करना उन्हें सिखाया। संत लूकस हमें हे हमारे पिता प्रार्थना का संक्षिप्त रूप देते हैं जिसे हम संत मत्ती रचित सुसमाचार में पाते हैं जिसका सामान्य तौर पर उपयोग किया जाता है। हम पवित्र धर्मशास्त्र के प्रथम शब्दों के सामने हैं जिसे हम बचपन से ही जानते हैं, ये शब्द हमारी समृति में अंकित हो जाते हैं। ये हमारे जीवन को बनाते हैं। ये अंतिम साँस तक हमारा साथ देते हैं। ये प्रकट करते हैं कि हम ईश्वर की संतान के रूप में पूर्ण नहीं हैं लेकिन हमें अधिकाधिक येसु के साथ गहन एकात्मता में ईश्वर की संतान के अनुरूप बनते जाना है। पुत्र होने का तात्पर्य येसु का अनुसरण करने के बराबर हो जाता है।

इस प्रार्थना में शामिल है तथा यह मानवीय भौतिक और आत्मिक जरूरतों को भी व्यक्त करता है। हमें प्रतिदिन का आहार दिया कर, हमारे पाप क्षमा कर। दैनिक जीवन की जरूरतों और कठिनाईयों को देखते हुए ही येसु जोर देकर कहते हैं- मैं तुमसे कहता हूँ- माँगो और तुम्हें दिया जायेगा, ढूँढों और तुम पाओगे, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जायेगा। यह एक व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए माँगना नहीं है लेकिन ईश्वर के साथ एक व्यक्ति की मित्रता को जीवित रखना है और सुसमाचार हमेशा कहता है कि स्वर्गिक पिता माँगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों नहीं देगा। प्राचीन काल में मरुस्थल में रहनेवाले धर्माचार्यों तथा हर युग के चिंतकों ने प्रार्थना के द्वारा अनुभव किया है और अब्राहम के समान ईश्वर के मित्र बन गये हैं जो सोदोम शहर को नष्ट किये जाने कि स्थिति में कुछेक न्यायी लोगों को बचाये जाने का निवेदन किया। अविला की संत तेरेसा ने अपनी धर्मबहनों से कहा- हमें हमेशा ईश्वर से आर्त याचना करनी चाहिए कि हर प्रकार के खतरे से मुक्त करें तथा हर प्रकार की बुराई हमसे दूर ले जायें। हमारी चाहत कितनी भी अपूर्ण क्यों न हो हमें अपने आग्रह पर बने रहने का प्रयास करना चाहिए। सर्वशक्तिमान को सम्बोधित करते समय हमें इस पर कितना व्यय करना पडता है।

जब भी हम हे हमारे पिता प्रार्थना को दुहराते हैं हमारी आवाज कलीसिया की आवाज के साथ मिल जाती है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो प्रार्थना करता है वह अकेला नहीं होता है। हर विश्वासी मसीही को कोशिश करनी चाहिए और कलीसिया द्वारा सिखायी गयी ईसाई प्रार्थना की समृद्धि और सत्य में में वह अपना तरीका, प्रार्थना करने की अपनी शैली पा सकता है। इस प्रकार वह स्वयं को पवित्र आत्मा के निर्देशन में संचालित होने देगा जो उसे ख्रीस्त के द्वारा पिता के पास ले चलेंगें।

आज प्रेरित याकूब जो महान कहलाता है का पर्व दिवस है। उन्होंने येसु का अनुसरण करने और उनके लिए अपने जीवन को देने के लिए मछली पकड़ने का काम और अपने पिता को छोड़ दिया। वे वैसे शिष्यों में प्रथम थे जिन्होंने ऐसा कदम उठाया था। मैं सांतियागो दि कमपोस्तेला की तीर्थयात्रा करनेवाले अनेक तीर्थयात्रियों का हर्दिक अभिवादन करता हूँ। कुँवारी माता मरियम ख्रीस्तीय प्रार्थना के सौंदर्य़ और गहराई की पुर्नखोज करने के लिए सबकी सहायता करें।

इतना कहकर संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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