मुरलीधरन की सफलता में मिशनरी शिक्षा-दीक्षा का योगदान
कोलोम्बो, 24 जुलाई, 2010 (उकान) टेस्ट क्रिकेट में आठ सौ विकेट लेने वाले दुनिया के
अकेले गेंदबाज़ बनने वाले मुथैया मुरलीधरन कहा है कि उसकी सफलता का रहस्य है मिशनरी
स्कूल में मेरी शिक्षा-दीक्षा और उसमें कार्यरत समर्पित पुरोहित, शिक्षक और प्रशिक्षक
। 38 वर्षीय मुरलीधरन ने कहा कि उसकी पढ़ाई-लिखाई कैंडी के संत अंतोनी कॉलेज में हुई,
जहाँ खेलना और पढ़ाई करना आसान नहीं था पर उन्हें फादरों और शिक्षकों का बहुत सहयोग और
प्रोत्साहन मिला। उन्होंने बताया कि उनके हिन्दु पिता सिनाथम्बी मुथैया की हार्दिक
इच्छा थी कि उनकी चारों संतानों की पढ़ाई-लिखाई चर्च संचालित स्कूलों एवं कॉलेजों में
हो। वे कहा करते थे कि ईसाई विद्यालयों में उच्च कोटि की शिक्षा, नैतिक और शारीरिक विकास
व खेल-कूद को उचित बढ़ावा दिया जाता है। मुरलीधरन ने उकान समाचार को बताया कि चर्च
की पढ़ाई-लिखाई ने उन्हें जीवन की चुनौतियों को सफलतापूर्वक स्वीकार करने के लिये पूर्ण
रूप से तैयार कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सफलता में न केवल क्रिकेट टीम
का योगदान रहा है पूरी श्रीलंकाई समाज का विशेष योगदान रहा है। विदित हो कि गुरूवार
को भारत के साथ खेले गए इस सत्र के पहले टेस्ट मैच के दौरान उन्होंने 800 विकेट पूरे
कर लिए। श्रीलंका के कैंडी शहर में 17 अप्रैल, 1972 को जन्मे मुरलीधरन अलग तरह की
गेंदबाज़ी के लिए मशहूर हुए। चार भाई-बहनों में सबसे बड़े मुथैया मुरलीधरन ने मध्यम-गति
के गेंदबाज़ के तौर पर अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की लेकिन बाद में उन्होंने ऑफ-स्पिन
गेंदबाज़ी का हुनर सीखा। वर्ष 1992 में 20 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले
गए अपने पहले टेस्ट के दौरान 141 रन देकर उन्होंने तीन विकेट लिए थे। वर्ष 1997 को
वो ऐसे पहले श्रीलंकाई गेंदबाज़ बने जिसने 100 विकेट लिए हों. जनवरी 1998 में ज़िम्बाब्वे
के ख़िलाफ़ खेले गए पहले ही टेस्ट में उन्होंने 10 विकेट लिए। इसी साल अगस्त में
मुरलीधरन ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए इंगलैंड के खिलाफ खेले गए टेस्ट
मैच में 220 रन देकर 16 विकेट लिए। वर्ष 2004 में कैंडी में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेले
गए दूसरे टेस्ट के दौरान सबसे कम उम्र में सबसे तेज़ी से 500 विकेट लेने वाले खिलाड़ी
बने। फरवरी 2009 में उन्होंने एक दिवसीय मैचों में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले पाकिस्तान
के वसीम अकरम के रिकार्ड को भी तोड़ दिया। 515 विकेट के साथ उनका ये रिकार्ड आज भी क़ायम
है। 22 जुलाई, 2010 की तारीख़ को इतिहास में दर्ज कराते हुए अपने आख़िरी टेस्ट मैच
के दौरान आठ विकेट लेकर उन्होंने 800 का आंकड़ा भी छू लिया। भारत के प्रज्ञान ओझा
को पेवेलियन रवाना करते हुए मुरलीधरन ने अपने 800 विकेट पूरे किए. उनकी इस कामयाबी को
देखने के लिए गॉल स्डेडियम में उनका परिवार भी मौजूद था। श्रीलंका की ओर से इंग्लिश
कांउटी में लंकाशायर और कैंट के साथ खेले गए 33 मैचों के दौरान उन्होंने 236 विकेट लिए। वर्ष
2008 में मुरलीधरन इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में शामिल हुए और आईपीएल में उपविजेता
रही चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा भी बने।