ईसाई, हिन्दु, सिक्ख व पारसी धर्म के नेताओं ने दारा दरबार तीर्थस्थल का दौरा किया
लाहौर, 19 जुलाई, 2010 (उकान) पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के एक दल ने अंतरधार्मिक एकता
को बढ़ावा देने के लिये दारा दरबार तीर्थस्थल का दौरा किया जहाँ आतंकवादियों ने बम से
हमला किया था। अंतरधार्मिक वार्ता के लिये बनी राष्ट्रीय समिति एक 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल
ने 15 जुलाई को प्रसिद्ध इस्लाम तीर्थस्थल दारा दरबारा गये। इस प्रतिनिधिमंडल में दो
ईसाई पुरोहितों के अलावा सिक्ख हिन्दु और पारसी धर्म के नेता शामिल थे। विदित हो
कि 1 जुलाई को एक आत्मघाती दल के हमले में इस सूफी तीर्थस्थल में 45 लोगों की मौत हो
गयी थी और करीब 200 से भी ज़्यादा लोगों गंभीर रूप से घायल हो गये थे। इस आतंकवादी
हमले का पाकिस्तान की चर्च ने घोर निन्दा की थी। चर्च के प्रतिनिधियों ने उकान समाचार
को बताया कि आतंकवादी हमले किये गये तीर्थस्थल जाने से अंतरधार्मिक वार्ता का माहौल मजबूत
हुआ है और एकता मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक मुसलमानों के साथ वे धार्मिक
सिद्धांतों के आधार पर वार्ता नहीं कर सकते हैं क्योंकि इससे भ्रांतियाँ बढ़ती हैं। धार्मिक
सद्भाव बढ़ाने के लिये ऐसे दुःख और विपत्ति के अवसर महत्त्वपूर्ण होते हैं। चर्च प्रतिनिधि
फादर नदीम ने कहा कि जब हम दुःख में पड़े लोगों को सहानुभूति दिखाते हैं तो इससे आपसी
रिश्ते सुदृढ़ होते हैं। उन्होंने कहा कि मुसलिम तीर्थस्थल पर हमला राष्ट्र पर हमला था।
यह एक भयानक कायरतापूर्ण कृत्य है जब ऐसे लोग उन स्थानों पर हमला बोलते हैं जहाँ
लोग शांति की कामना करने के लिये जमा होते हैं। इस अवसर पर बोलते हुए फादर इन्यात
बेर्नार्ड ने कहा कि संत और महात्मा किसी एक सम्प्रदाय और धर्म के नहीं होते हैं वे तो
पूरी मानवता को अनुप्राणित करते हैं। उन्होंने सरकार से माँग की है कि वे तीर्थस्थलों
को उचित सुरक्षा प्रदान करें ताकि विश्वासी बिना भय के पूजा-पाठ कर सकें। उधर धर्मप्रांतीय
अंतरधार्मिक वार्ता आयोग के निदेशक फादर आफ़ताब जेम्स पौल ने इस बात पर बल दिया कि इस
तरह के एकता और सहानुभूति का कार्यक्रम जारी रहे। सब ही धर्म और सम्प्रदाय के लोगों
को चाहिये कि वे इस तरह की आतंकवादी गतिविधियों का विरोध करें। इस अवसर पर मस्ज़िदों
और तीर्थस्थलों की रक्षा के लिये ज़िम्मेदार राव फाज़ल रहमान ने मुसलिम समुदाय की ओर
से प्रतिमंडल को धन्यवाद दिया और कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल पर हमले होने पर सर्वधर्म
एकता दिखाया जाना अत्योचित कदम है।