2010-07-12 17:53:35

देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया संदेश


श्रोताओ, रविवार 11 जुलाई को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-

अतिप्रिय भाईयो और बहनो,

कुछ दिनों पूर्व जैसा कि आप देखते हैं मैं रोम छोड़कर ग्रीष्मकाल के लिए कास्तेल गोंदोल्फो आया। मैं ईश्वर को धन्यवाद देता हूँ जो मुझे आराम करने की यह संभावना देते हैं। इस शहर के प्रिय निवासियों मैं आपका हार्दिक अभिवादन करता हूँ।

इस रविवार के सुसमाचार पाठ का आरम्भ येसु के सामने एक शास्त्री द्वारा पूछे गये सवाल से होता हैः गुरूवर अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिए मुझे क्या करना चाहिए यह जानते हुए कि वह व्यक्ति संहिता का जानकार है प्रभु उस व्यक्ति को इस सवाल का जवाब स्वयं देने के लिए आमंत्रित करते हैं- जिसे वस्तुतः वे बहुत ही सुंदर तरीके से दो प्रमुख आदेशों का उद्धरण देते हुए कहता है ईश्वर को अपने सारे दिल, अपनी सारी आत्मा और अपनी सारी शक्ति से प्यार करो तथा अपने पडो़सी को अपने समान प्यार करो। संहिता के ज्ञाता, शास्त्री अपने सवाल की सार्थकता दिखलाने के लिए येसु से पूछता है- लेकिन कौन है मेरा पड़ोसी। इस समय येसु उस शास्त्री को भले समारी का दृष्टान्त सुना कर जवाब देते हैं यह दिखाने के लिए कि जिस किसी भी व्यक्ति को सहायता की जरूरत है, वह हमारा पड़ोसी है।

समारी व्यक्ति वास्तव में उस अजनबी व्यक्ति की परिस्थिति की जिम्मेवारी लेता है जो डाकुओं के हाथों पड़ गया था और उसे सड़क पर अधमरा छोड़ दिया था। एक याजक और एक लेवी कतरा कर चले गये शायद यह सोच रहे थे कि कुछेक अवधारणाणों के कारण कि यदि रक्त के सम्पर्क में आये तो वे भी प्रदूषित हो जायेंगे। यह दृष्टान्त हमें येसु का अनुसरण करने और उदारता के तर्क का अभ्यास करने में समर्थ बनाये। हमारी मनोवृत्तियों को बदलने में सहायता दे, ईश्वर प्रेम है, उनकी आराधना करने का अर्थ है- हमारे भाई बहनों की ईमानदार और प्रेमपूर्वक उदार सेवा।

यह सुसमाचार पाठ हमें पैमाना अर्पित करता है जो जरूरतमंदो की ओर सार्वभौमिक प्रेम है, जिनके साथ हमारा साक्षात्कार या सामना होता है वे चाहे जो भी हों। इस सार्वभौमिक विधान के साथ ही विशेष कलीसियाई जिम्मेदारी है। कलीसियाई परिवार के अंदर इसका कोई भी सदस्य जरूरतमंद होने पर भी पीडि़त नहीं हो। येसु की शिक्षा से लिया गया ख्रीस्तीय प्रोजेक्ट वह हदय है जो देखता है जहाँ प्यार की जरूरत है उसी अनुरूप काम भी करता है।


प्रिय मित्रो़ मैं यह स्मरण करना चाहता हूं कि आज कलीसिया नोरचा के संत बेनेडिक्ट का स्मरण करती है। मेरे परमाध्यक्षीयकाल के महान संरक्षक पाश्चात्य रहस्यवाद के पिता और नीति निर्माता हैं। जैसा कि संत ग्रेगोरी महान वर्णन करते हैं- वह ऐसे व्यक्ति थे जो पवित्र जीवन जीते थे, कृपा से और कृपा में अशीषित। उन्होंने मठवासियों के लिए नियमों को लिखा। उनके व्यक्तित्व में निहित शिक्षा का एक आईना, पवित्र व्यक्ति अपने जीवन के उदाहरणो के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं सिखा सकते। संत पापा पौल षष्टम ने 24 अक्तूबर 1964 को संत बेनेडिक्ट को यूरोप का संरक्षक संत घोषित किया था। हमारे विश्वास की तीर्थयात्रा को हम कुँवारी माता मरियम को सौंपते हैं। हमारी आँखें इस समय में ईश्वर के वचन और कठिनाईयों में पड़े भाईय़ों से कभी नहीं हटें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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