2010-07-08 17:00:21

मातृत्व का सम्मान करना महिला सशक्तिकरण का भाग है


महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिल्योरे ने सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की बढ़ती भूमिका की सराहना करते हुए लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण विषय पर संयुक्त राष्ट्रसंघीय बैठक को पहली जुलाई को सम्बोधित करते हुए कहा कि पुरूष और महिला मर्यादा में समान हैं लेकिन वे भिन्न तथा एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि समानता का अर्थ एक समान होना नहीं है और भिन्नता का अर्थ असमानता नहीं है। महिलाओं का सशक्तिकरण और उनकी मर्यादा का सम्मान करने का अर्थ यह भी है कि सेवा करने की उनकी क्षमता का आदर करना तथा मातृत्व के द्वारा परिवार और समाज के लिए स्वयं को समर्पित करना जिसमें आत्म दान वाला प्रेम तथा सहायता देना शामिल है।
उन्होंने कहा कि परोपकार, समर्पण और दूसरों की सेवा करना निजी मर्यादा को ही बढ़ाते हैं। यदि घरेलूपन को माताओं के लिए विशिष्ट उपहार के रूप में देखा जाये तो यह परिवार और समाज में यथार्थ अंतर –व्यक्तिक संबंध का विकास करता है जिससे परिवार सम्मत काम करने की व्यवस्थाएँ, परिवार की देखरेख के लिए साझा अवकाश, अवैतनिक काम के बोझ के पुर्नवितरण जैसे मुददों पर वांछित ध्यान दिया जा सकता है।
महिलाओं के खिलाफ होनेवाली हिंसा और भेदभाव की भर्त्सना करते हुए महाधर्माध्यक्ष मिल्योरे ने महिलाओं की चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने का आह्वान किया। 58 वर्षीय महाधर्माध्यक्ष मिल्योरे 30 जून तक संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में वाटिकन पर्यवेक्षक के रूप में काम करने के बाद अब पोलैंड में वाटिकन के राजदूत नियुक्त किये गये हैं।








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