2010-07-07 12:33:56

कोलोम्बोः श्री लंका में मानवाधिकार जाँच के विरुद्ध प्रदर्शन


श्री लंका में मंगलवार को, बौद्ध नेताओं एवं राजनीतिज्ञों के नेतृत्व में लगभग 1000 लोगों ने, देश में मानवाधिकारों के अतिक्रमण की जाँच हेतु एक विशिष्ट समिति की नियुक्ति का विरोध करते हुए कोलोम्बो स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकर्त्ताओं ने बान की मून का पुतला जलाया और संयुक्त राष्ट्र की नीतियों के ख़िलाफ़ नारे लगाए। उनकी की मांग है कि श्री लंका सरकार पर लगाए गए युद्ध-अपराध के आरोपों की जाँच बंद की जाए।
ग़ौरतलब है कि विगत माह संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बान की मून ने, तमिल विद्रोहियों और सरकारी सुरक्षा बलों के बीच चले, श्री लंकाई युद्ध के अन्तिम चरण के दौरान हुई मानवाधिकार अतिक्रमण की घटनाओं की जाँच हेतु, विशेषज्ञों की एक विशिष्ट समिति को नियुक्त करने की घोषणा की थी। समिति का कार्य महासचिव को सुझाव देना होगा कि युद्ध अपराधियों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की जाए। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार इस लड़ाई के अंतिम पाँच माहों में लगभग सात हज़ार आम नागरिकों की हत्या हो गई थी।
श्री लंका की सरकार इस जाँच को अनावश्यक बता रही है और उसका कहना है कि उसके सैनिकों ने आम नागरिकों के ख़िलाफ़ कोई अत्याचार नहीं किया है। जबकि निष्पक्ष सूत्रों का कहना है कि श्री लंका सरकार ने आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग किया तथा तमिल विद्रोहियों ने बलपूर्वक आम नागरिकों का ढाल की तरह इस्तेमाल किया।
इस बीच कोलोम्बो काथलिक महाधर्मप्रान्त के साप्ताहिक समाचार पत्र में प्रकाशित सम्पादकीय में संयुक्त राष्ट्र संघ की जाँच को सकारात्मक निरूपित किया गया है। लेख में प्रश्न किया गया, "मानवतावादी नियमों से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी समझौतों एवं अधिनियमों पर हस्ताक्षर करने के उपरान्त क्या श्री लंका इस ज़िम्मेदारी से किनारा कर सकता है?" लेख में पाठकों से आग्रह किया गया कि वे संयुक्त राष्ट्र संघ की मांग का स्वागत करें ताकि यह साबित हो सके कि श्री लंका की सरकार सचमुच में अच्छे शासन और मानवाधिकारों के प्रति चिन्तित है।








All the contents on this site are copyrighted ©.