2010-07-05 19:40:51

कलीसियाई एकता ही संत पापा की प्राथमिकता


रोम 5 जुलाई, 2010 (ज़ेनित)। कलीसियाई एकता ही संत पापा की प्राथमिकता है । यद्यपि इस एकता को बरकरार रखने के लिये कुछ ऐसे कदम उठाने पड़ते जो आम लोगों को आश्चर्य में डालता देता है।
उक्त बातें वाटिकन प्रवक्ता जेस्विट फादर फेदेरिको लोमबारदी ने उस समय कहीं जब वे वाटिकन टेलेविज़न के साप्ताहिक कार्यक्रम ‘ऑक्तावा दियेस’ में संत पापा के दो आमदर्शनों की चर्चा कर रहे थे।
संत पापा ने पिछले दो आमदर्शनों में आपसी मतभेदों के घावों से चंगाई के बारे में संदेश दिया था। 28 जून को संत पापा वियेना के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल क्रिस्तोफ शॉनबोर्न और कार्डिनलमंडल के डीन कार्डिनल अन्येलो सोदानो से मिले थे।
इसके तुरंत बाद 1 जुलाई को उन्होंने जर्मनी के ऑगस्बर्ग के महाधर्माध्यक्ष वाल्टर मिक्सा से मिले और उनकी ‘गलतियों और कमजोरियों’ की गंभीरता के कारण उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।
इसके द्वारा उन्होंने जर्मन की धर्माध्यक्षीय समिति से यह भी निवेदन किया कि वे अपदस्त धर्माध्यक्ष की मदद करे।
वाटिकन प्रवक्ता ने कहा कि कई बार कलीसिया के आंतरिक चुनौतियाँ बाहर से आनेवाली समस्याओं से ज़्यादा घातक होतीं हैं। आंतरिक कलह और मनमुटाव कलीसिया को अधिक हानि पहुँचाती है।
फादर लोमाबारडी ने कहा कि जब कलीसिया विपरीत परिस्थितियों से गुज़रती और असुरक्षित महसूस करती है तो उसे चाहिये कि इस बात का साक्ष्य दे कि उसने पुनर्जीवित येसु का गहरा अनुभव किया है और उसी की मदद से वह एक-दूसरे को सच्चा पथ दिखाने को प्रयासरत है।
इन दिनों संत पापा ने इसी संदेश को लोगों तक पहुँचाने का प्रयास किया है और इसलिये कलीसिया को उनकी बातों पर अमल करने का प्रयास करना चाहिये।












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