ईश्वर और पड़ोसियों आवाज़ सुनने के लिये आंतरिक शांति आवश्यक
सुलमोना, 5 जुलाई, 2010 (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का कहा है कि लोग आंतरिक
और बाह्य दोनों तरह से मौन रहना सीखें ताकि वे ईश्वर की आवाज़ और पड़ोसियों की पुकार
सुन सकें।
उन्होंने स्वीकार किया कि यह संभव है कि मौन या शांत आज के युग में
कई लोगों के लिये भय का कारण बन सकती है।
संत पापा ने उक्त बातें इटली के अब्रुत्सी
प्रांत के सुलमोना में कहीं जहाँ सन् 2009 में आये भूकम्प से भारी तबाही हुई थी।
संत
पापा अपने एकदिवसीय दौरे पर रविवार 4 जुलाई को सुलमोना पहुँचे थे। सुलमोना में करीब 25
हज़ार लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्होंने उनके लिये यूखरिस्तीय बलिदान चढ़ाया।
अपने प्रभाषण में संत पापा ने तेरहवीं सदी के संत पापा सेलेस्टिन के बारे में
चर्चा की और कहा कि पवित्रता लोगों को अपनी ओर खींचने की शक्ति कभी नहीं खोता है। यह
कभी भी भुलाया नहीं जाता, न ही आम आदमी के मन से विलुप्त नहीं हो जाता है। इसके ठीक विपरीत
समय बीतने के साथ-साथ इसकी चमक बढ़ती जाती है और यह इस बात को स्पष्ट करती जाती है कि
मानव, ईश्वर को पाने के अनवरत प्रयास में लगा हुआ है।
संत पापा ने कहा कि संत
पीटर सेलेस्टीन ने आरंभ से ही शांति और सत्य की खोज़ की, ईश्वर आवाज़ को पहचाना और निर्णय
किया कि वह अपने को ईश्वर की सेवा के लिये समर्पित करेगा।
संत पापा ने कहा कि
आज समाज इस बात की चिन्ता में लगी रहती है कि वह कुछ नया करे, अपने जीवन को क्रियाकलापों
और आवाज़ से भर दे और इस तरह उसके पास न सुनने का समय है, न ही वार्तालाप का।
संत
पापा ने कहा कि आज ज़रूरत है आंतरिक और बाह्य शांति की ताकि हम ईश्वर की वाणी को सुन
सकें और समाज के लोगों के लिये कार्य कर सकें। उन्होंने कहा कि मानव अपने से कुछ भी नहीं
कर सकते हैं। अगर हम भी ईश्वरीय शक्ति और उसकी अनन्त अच्छाई पर भरोसा रखें जैसा कि संत
सेलेस्टीन ने किया तो हम उसके वरदानों व कृपाओं पर आश्चर्य करेंगे।
संत पापा ने
सुलमोना से प्रस्थान करने के पूर्व स्थानीय धर्माध्यक्षों और युवाओं से मुलाक़ात की और
प्रार्थना की कि संत पीटर सेलेस्टीन सबों को ईश्वर तक पहुँचने में मदद करे।