2010-06-24 16:59:12

संत पापा द्वारा मोंते मारियो पहाड़ी पर अवस्थित मरियम प्रतिमा का अनावरण


संत पापा बेनडिक्ट 16 वें ने गुरूवार को वाटिकन सिटी के निकट स्थित मोंते मारियो पहाड़ी की यात्रा कर विकलांग तथा अनाथ बच्चों की सेवा में कार्यरत डोन ओरियोन संस्थान में माता मरिया की प्रतिमा का अनावरण किया जो रोम की जनता को प्रिय है तथा जिसे वे प्रेम और स्नेह से ला मदोना कहते हैं। इस पहाड़ी से रोम शहर के भव्य दृश्य को देखा जा सकता है। माता मरिया की प्रतिमा जो सालुस पोपोली रोमानी के नाम से जानी जाती है यह 9 मीटर ऊँची है तथा 20 मीटर ऊँचे पायदान पर स्थापित की गयी है। यह प्रतिमा विगत वर्ष अक्तूबर माह में आये तेज हवा के झोंके के कारण गिर गयी थी।
माता मरियम की जीर्णाद्धार और पुनःस्थापित ताम्र प्रतिमा को संत पापा ने आशीष दिया तथा धर्मप्रांत के लोगों, मरिया प्रतिमा और डोन ओरियोन संस्थान के मध्य विद्यमान गहन बंधन का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि माता मरिया की विशाल प्रतिमा जो तेज हवा के कारण कुछ माह पूर्व धाराशायी हो गयी थी यह पुनः इस पहाड़ी पर स्थापित की गयी है ताकि हमारे शहर पर दृष्टि रखे। यह हमें नाटकीय और दैवीय घटनाओं का स्मरण कराती है जो शहर के इतिहास और लोगों के मन में अंकित है।
वस्तुतः यह प्रतिमा द्वितीय विश्व युद्ध के समय की गयी लोकप्रिय मन्नत को पूरा करने के लिए मोंते मारियो पहाड़ी पर 1953 में स्थापित की गयी थी। सशस्त्र संघर्षों के कारण रोम शहर के भविष्य पर अनेक खतरे छा गये थे। डोन ओरियेन के रोमन केन्द्र ने माता मरियम से मन्नत माँगी जिसमें एक मिलियन लोगों ने हस्ताक्षर किये थे। वंदनीय संत पापा पियुस बारहवें ने लोगों की इस भक्तिमय पहल को देखते हुए दिव्य प्रेम की माता मरिया की प्रतिमा के सामने 4 जून 1944 को संकल्प लिया था। उसी दिन रोम शहर की शांतिपूर्ण आजादी आरम्भ हुई। युद्ध के बाद संग्रहित ताम्र से प्रतिमा के निर्माण का काम आरम्भ हुआ। यह काम यहूदी शिल्पकार मिनेरबी अरिगो को सौंपा गया।
संत पापा ने विकलांगों और अनाथ बच्चों की सेवा में कार्य़रत संस्थान में मरियम प्रतिमा के स्थल पर चिंतन करते हुए कहा कि संत लुईजी ओरियेन की यह सोच कि केवल उदारता ही संसार को बचा सकती है यहाँ अर्थपूर्ण तरीके से पूरा होती है। डोन ओरियोन के सदगुणों के बारे में कहते हुए संत पापा ने कहा कि उन्होंने कलीसिया और ईश्वर के लिए भावपूर्ण जीवन जीया। इनके अनुयायियों का वे आह्वान करते हैं कि ईश्वर के प्रति प्रेम तथा मानवजाति के प्रति आस्था के इस बुलावे को जीयें।








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