रविवारीय ख्रीस्तयाग और उदारता काथलिक जीवन के लिए अपरिहार्य
संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रोम धर्मप्रांतीय मेषपालीय सम्मेलन के प्रतिभागियों को
संत जान लातेरान बासिलिका में 15 जून को सम्बोधित करते हुए कहा कि रविवारीय ख्रीस्तयाग
में भाग लेना तथा यूखरिस्त संस्कार ग्रहण करना काथलिकों के जीवन के मूल में है क्योंकि
ये ख्रीस्त के बलिदान पर विश्वास करने की स्पष्ट अभिव्यक्तियां हैं। ये सामुदायिकता की
रचना कर उदारता को प्रोत्साहन प्रदान करती हैं। तीन दिवसीय सम्मेलन के प्रतिभागियों से
उन्होंने कहा कि आज लोग बलिदान शब्द से प्रेम नहीं करते हैं उनके लिए यह दूसरे काल और
जीवन को अन्य तरीके से समझने जैसा लगता है तथापि बलिदान शब्द को सही तरह से समझा जाये
तो यह बुनियादी तत्व है क्योंकि यह प्रकट करता है कि ईश्वर, ख्रीस्त में हमें कितना प्यार
करते हैं। संत पापा ने कहा कि रोम के अधिकांश नागरिक बपतिस्मा प्राप्त काथलिक हें। विश्वास
को धारण नहीं किया जा सकता है क्योंकि हर पीढ़ी द्वारा सुसमाचार की उदघोषणा तथा ख्रीस्त
के द्वारा हमारे लिए प्रकट किये गये सत्य के ज्ञान रूपी उपहार को पाने की जरूरत होती
है। रोम धर्मप्रांतीय मेषपालीय सम्मेलन उन उपायों की खोज करने पर केन्द्रित है कि काथलिकों
को रविववारीय ख्रीस्तयाग के महत्व तथा काथलिक जीवन में उदारता की अपरिहार्य भूमिका को
समझने कि लिए सहायता करे। सम्मेलन के 300 प्रतिभागियों के विचार विमर्श के लिए धर्मप्रांत
की पल्लियों, पुरोहित समितियों, लोकधर्मी समूहों और विशेष प्रेरिताई समूहों ने तैयारी
सत्र सम्पन्न कर विभिन्न प्रस्ताव तैयार किये थे।