वाटिकन सिटीः अर्थ व्यवस्था में भ्रातृत्व की नितान्त आवश्यकता, बेनेडिक्ट 16 वें
वाटिकन में शनिवार को यूरोपीय विकास बैंक की समिति के सदस्यों की वार्षिक सभा को सम्बोधित
करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस बात की पुष्टि की कि प्रेम एवं सत्य आर्थिक
जीवन को बल प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने शिकायत की कि तानाशाही प्रशासनों से मुक्ति
के बाद यूरोप में केवल आर्थिक प्रगति पर ध्यान दिया गया जबकि मानव प्रतिष्ठा की अवहेलना
कर दी गई। साथ ही यूरोप की अस्मिता को सकारात्मक रूप से गढ़ने वाली आध्यात्मिक समृद्धि
को भुला दिया गया। उन्होंने कहा, "ख्रीस्तीय धर्म ने यूरोप को स्वतंत्रता, ज़िम्मेदारी
एवं नैतिक आचार व्यवहार का अर्थ समझने में सक्षम बनाया है जो उसके कानूनों एवं उसकी सामाजिक
संरचनाओं में व्याप्त हैं। अस्तु, ख्रीस्तीय धर्म को अलग करना एवं उसकी प्रकाशना करनेवालों
चिन्हों को अलग करना हमारे महाद्वीप को उसकी अनिवार्य जड़ से अलग करना होगा जो उसे पोषित
करती तथा उसकी यथार्थ पहचान में योगदान देती है।" भ्रातृत्व पर आधारित अर्थ व्यवस्था
का आह्वान करते हुए सन्त पापा ने कहा कि अतीत में यूरोप ने भ्रातृत्व पर आधारित आर्थिक
विकास का अनुभव प्राप्त किया है। उसी के आधार पर वर्तमान काल में भी कार्य करते रहने
का सन्त पापा ने सन्देश दिया। उन्होंने कहा कि बैंकों की नीतियों को केवल आर्थिक लाभ
पर आधारित नहीं होना चाहिये बल्कि उन्हें उदारता, एकात्मता एवं भाईचारे पर निर्भर रहना
चाहिये। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अतीत में यूरोप के बैंकों ने ख्रीस्तीय धर्म से प्रेरणा
लेकर उदारता पर अपनी नीतियों को आधारित रखा था आज भी उनके आन्तरिक निर्णयों में व्यक्तियों,
परिवारों एवं ज़रूरतमन्दों का ध्यान रखा जाये।