भोपालः गैस काण्ड से प्रभावित परिवार एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ता अदालत के फ़ैसले से
नाराज़
भोपाल में 25 वर्ष पूर्व हुए यूनियन कार्बाईड कम्पनी के गैस काण्ड में मारे गये तथा घायल
हुए लोगों के परिवारों एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने सोमवार को सुनाये गये अदालती
फैसले पर नाराज़गी एवं असन्तोष व्यक्त किया है। सोमवार को चीफ जूडिशल मैजिस्ट्रेट
मोहन पी. तिवारी ने आठ दोषियों पर सिर्फ दो साल की क़ैद और एक लाख एक हजार 750 रुपये
का जुर्माना लगाया। सजा सुनाए जाने के कुछ मिनट बाद ही 25000 रुपये के मुचलके पर सात
दोषियों को जमानत भी मिल गई है। ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए इनके पास 30 दिन का
समय है। भोपाल गैस पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे स्वयंसेवी संगठनों
ने इसे बहुत देर से दी गई बहुत हल्की सजा बताया और आरोप लगाया कि प्रॉसिक्य़ूशन और सीबीआई
ने इस मामले में पीड़ितों का ध्यान नहीं रखा। सन् 1984 में हुई भोपाल गैस दुर्घटना
को अब तक की सर्वाधिक ख़तरनाक एवं विनाशक औद्योगिक दुर्घटना निरूपित किया गया है जिसमें
25, 000 लोगों ने अपना जानें गँवाई तथा हज़ारों लोग विकलांग एवं अन्धे हो गये। ज़हरीली
गैस सम्बन्धी रोगों से अभी भी लोग प्रभावित हो रहे हैं।