संत पापा ने साइप्रस द्वीप में विद्यमान अत्यंत लघु कलीसिया से विशेष अपील की कि अपनी
अनूठी परिस्थिति के कारण वह साइप्रस समाज में सबको लाभ पहुँचा सकती है। वे सबका ध्यान
कलीसिया के जीवन और मिशन के एक अपरिहार्य़ भाग की ओर खींचना चाहते हैं जो अन्य ईसाईयों
के साथ उदारता में और अधिक एकता की खोज करना तथा गैर ईसाईयों के साथ वार्ता करना है।
मारोनाईट रीति के अधिकांश सदस्य उन गाँवों के हैं जो तुर्की अधिकृत क्षेत्र में
हैं।
संत पापा ने कोरमाकिती, असोमातोस,कारपासा और आई मरीना से आये लोगों का
विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि वे उनकी अभिलाषाओं और पीड़ाओं को जानते हैं। उनका आग्रह
है कि वे उनकी आशीष, सामीप्य और स्नेह को उन सबलोगों तक ले जायें जो इन गाँवों से आये
हैं।
संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्तीय आशा के लोग हैं। उनकी प्रार्थना और कामना
है कि सदइच्छा और समर्पण के द्वारा द्वीप के सब निवासियों के लिए बेहतर जीवन की अभिलाषाएँ
शीघ्रता से सुनिश्चित की जा सकें।