2010-06-04 16:30:59

पाफोस हवाई अडडे पर संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सम्बोधन


साइप्रस के पाफोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे पर 4 जून को देश के राष्ट्रपति दिमेत्रिस क्रिस्तोफियास, राजनैतिक नेताओं तथा प्रशासनिक और धार्मिक अधिकारियों ने संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें का स्वागत किया। इस अवसर पर संत पापा ने राष्ट्रपति महोदय तथा समस्त देशवासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि साइप्रस का दौरा करने के लिए दिये गये हार्दिक निमंत्रण के लिए वे कृतज्ञ हैं।


उन्होंने कहा कि साइप्रस संस्कृतियों, धर्मों तथा इतिहास के चौराहे पर है जो प्राचीन और महान हैं तथा देश के जीवन में इनका गहरा और प्रत्यक्ष प्रभाव है। यूरोपीय संघ में हाल ही में शामिल होने के बाद साइप्रस गणतंत्र ने आर्थिक और राजनैतिक लाभों को देखना आरम्भ कर दिया है। सदस्यता के कारण बाजार, तकनीकियों और अन्य सुविधाओं तक इसकी पहुँच हो गयी है। यह आशा की जाती है कि यूरोपीय संघ की सदस्यता लेने के कारण यूरोप, अफ्रीका और एशिया का संगम, साइप्रस में समृद्धि आयेगी और बदले में अन्य यूरोपीय देश इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासतों से समृद्ध होंगे जो साइप्रस की ऐतिहासिक भूमिका को प्रतिबिम्बित करता है।


संत पापा ने यह कामना की कि मातृभूमि और परिजनों के प्रति प्रेम तथा सर्वशक्तिमान ईश्वर के संरक्षण में पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण जीवन जीने की इच्छा साइप्रस वासियों को प्रेरणा दे कि शेष समस्याओं का धैर्यपूर्वक समाधान कर सकें जिसे वे द्वीप के भविष्य के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ बाँटते हैं।


संत पापा ने कहा कि विश्वास में हमारे सामान्य पिता संत पौलुस और संत बरनाबास के पदचिन्हों पर चलते हुए वे एक तीर्थयात्री और ईश्वर के सेवकों के सेवक रूप में आये हैं। इन तटों पर प्रेरितों ने ख्रीस्तीय संदेश को लाया। ख्रीस्तीय विरासत पाकर साइप्रस धन्य हुआ है। इसी विश्वास में वे बंधु समान न्युजुस्तियाना और सम्पूर्ण साइप्रस के प्राधिधर्माध्यक्ष क्रिसोस्तोमोस द्वितीय का अभिवादन करते हैं एवं साइप्रस की आर्थोडोक्स कलीसिया और अन्य सिप्रीयट धार्मिक नेताओं से मिलने की इच्छा रखते हैं।


संत पापा ने कहा कि वे एक ईश्वर की आराधना करनेवाले सबलोगों के मध्य परस्पर भरोसा और दीर्घकालीन मित्रता की स्थापना करने की जरूरत को दुहराने की आशा रखते हैं। वे संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में साइप्रस के काथलिकों का विशेष रूप से अभिवादन करते हैं और उन्हें अपने विश्वास में दृढ़ रहने तथा आदर्श ख्रीस्तीय और आदर्श नागरिक के रूप में जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन देते हैं ताकि समाज में वे अपनी भूमिका पूरी तरह निभायें इससे कलीसिया और देश दोनों को लाभ हो।

संत पापा ने कहा कि अक्टूबर माह में रोम में सम्पन्न होनेवाले मध्यपूर्व के धर्माध्यक्षों की धर्मसभा की तैयारी के लिए यहाँ रहते समय वे धर्माध्यक्षों को तैयारी मार्गदर्शिका सौपेंगे। यह धर्मसभा क्षेत्र में कलीसिया की उपस्थिति के विभिन्न पहलूओं तथा काथलिकों के सामने आनेवाली चुनौतियों की जाँच करेगी। उन्होंने कहा कि साइप्रस उपयुक्त स्थल है जहाँ से मध्य पूर्व क्षेत्र में सदियों प्राचीन काथलिक समुदाय के महत्व, क्षेत्र के सब ईसाईयों के साथ सहदयता, सबलोगों के मध्य मेलमिलाप और शांति की स्थापना में अहस्तांतरणीय भूमिका अदा करने के दृढ़ विश्वास पर कलीसिया के चिंतन को आरम्भ करे।








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