2010-06-01 12:22:50

वाटिकन सिटीः कलीसिया की प्रकृति मिशनरी, बेनेडिक्ट 16 वें


सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा है कि काथलिक कलीसिया स्वभाव से ही मिशनरी है तथा सर्वत्र एवं सदैव सुसमाचार उदघोषणा एवं समस्त संस्कृतियों के सभी स्त्री पुरुषों के बीच विश्वास के प्रसार हेतु बुलाई गई है।
वाटिकन में, 31 मई को मरियम को समर्पित माह के समापन पर सामूहिक रोज़री विनती का पाठ किया गया। इस अवसर पर एकत्र कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों एवं अन्य श्रद्धालुओं को सम्बोधित कर सन्त पापा बेनेडिक्ट ने उक्त शब्द कहे।
माँ मरियम के जीवन पर चिन्तन करते हुए उन्होंने कहा, "मरियम का जीवन एक यथार्थ मिशनरी तीर्थयात्रा था, ऐसी तीर्थयात्रा जो उन्हें घर से बहुत दूर ले गई तथा जिसने उन्हें विश्व की ओर जाने के लिये प्रेरित किया।" सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय होने के नाते हममें से प्रत्येक एवं सम्पूर्ण कलीसिया का अस्तित्व भी हमसे बाहर है, वह हमारे लिये नहीं बल्कि अन्यों के लिये है। उन्होंने कहा कि प्रभु ख्रीस्त स्वयं हमसे आग्रह करते हैं कि हम लोगों के बीच उनके साक्षी बनें: "पवित्रआत्मा, तुम पर उतरेगा, वह तुम्हें शक्ति प्रदान करेगा जिससे तुम धरती के कोने कोने तक मेरे साक्षी बनोगे"(प्रेरित चरितः 1,8)।
सन्त पापा ने सभी काथलिक धर्मानुयायियों से आग्रह किया कि वे मरियम के जीवन पर चिन्तन कर अपने जीवन को भी अन्यों के लिये अर्पित करें। उन्होंने कहा कि मनुष्यों के बीच प्रभु येसु एवं उनके सुसमाचार की प्रस्तावना कर काथलिक धर्मानुयायी विश्व में प्रेम, मैत्री एवं शांति के सन्देशवाहक बन सकते हैं।
उन्होंने कहा, "येसु ख्रीस्त ही वे यथार्थ कोष हैं जिसे हम मानवजाति को अर्पित कर सकते हैं। इस युग के स्त्री पुरुषों को उनकी नितान्त आवश्यकता है भले ही ऐसा प्रतीत हो कि वे उनकी बहिष्कार करते हों। जिस समाज में आज हम जीवन यापन करते हैं उसे, यूरोप को तथा समस्त विश्व को उन्हीं की आवश्यकता है।









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