देवदूत संदेश प्रार्थना के पाठ से पूर्व सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया गया
सन्देश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 30 मई को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने भक्तों और पर्यटकों को सम्बोधित करते हुए कहा-
अति
प्रिय भाइयो एवं बहनो,
पास्का काल के बाद, जो पेंतेकोस्त पर्व के साथ पिछले सप्ताह
समाप्त हुआ पूजनधर्मविधि ने सामान्य काल में प्रवेश किया। इसका अर्थ यह नहीं है कि ख्रीस्तीयों
का समर्पण कम हो लेकिन संस्कारों के माध्यम से दिव्य जीवन में प्रवेश करने के द्वारा
हमारा आह्वान किया जाता है कि हम प्रतिदिन कृपा के कार्यों के लिए स्वयं को खोलें तथा
ईश्वर और अपने पड़ोसी के प्रति प्रेम में बढ़ें।
यह रविवार, पवित्रतम त्रित्व
के समारोही दिवस में कुछ अर्थ में पास्काई रहस्यों में ईश्वर की प्रकाशना को धारण करता
है। ख्रीस्त की मृत्यु और पुनरूत्थान, पिता की दाहिनी ओर उनका आरोहण तथा पवित्र आत्मा
का अवतरण। पिता पुत्र और पवित्र आत्मा के मध्य विद्यमान संबंधों की व्याख्या करने में
मानव मस्तिष्क और भाषाएँ अपर्याप्त हैं इसके बावजूद कलीसिया के धर्माचार्यों ने एक और
त्रियेक ईश्वर के रहस्य पर प्रकाश डालने का प्रयास किया है, अपने अस्तित्व में गहन विश्वास
के साथ जी रहे हैं। यह दिव्य त्रित्व वस्तुतः बपतिस्मा के दिन हम में निवास करने के
लिए आती है, बपतिस्मा संस्कार देनेवाले पुरोहित कहते हैं मैं तुम्हें पिता पुत्र और पवित्र
आत्मा के नाम पर बपतिस्मा देता हूँ। जब भी हम क्रूस का चिह्न बनाते हैं हम ईश्वर के नाम
का स्मरण करते हैं जिसमें हमें बपतिस्मा संस्कार दिया गया था। क्रूस के चिह्न के संदर्भ
में ईशशास्त्री रोमानो गवारदिनी का पर्यवेक्षण है- हम इसे प्रार्थना के पूर्व करते हैं
… हम अपने आपको आध्यात्मिक रूप से व्यवस्थित करते हैं, यह हमारे विचार, दिल और इच्छा
को ईश्वर पर केन्द्रित करता है। हम इसे प्रार्थना के बाद करते हैं ताकि ईश्वर ने जो हमें
दिया है वह हमारे साथ रहे। यह हमारे सर्वस्व शरीर और आत्मा को अपने आप में ले लेता है
और एक तथा त्रित्वमय ईश्वर के नाम में सबकुछ पवित्र कर दिया जाता है।
इस प्रकार
क्रूस के चिह्न में और जीवित ईश्वर के नाम में यह उदघोषणा निहित है जो विश्वास उत्पन्न
करती तथा प्रार्थना को प्रोत्साहन देती है। और, जैसा कि सुसमाचार में येसु प्रेरितों
से प्रतिज्ञा करते हैं कि जब सत्य का आत्मा आयेगा तो वह तुम्हें पूर्ण सत्य की ओर ले
जायेगा
रविवार की पूजनधर्मविधि में यही होता है जब पुरोहित हर सप्ताह ईशवचन रूपी
रोटी और यूखरिस्त प्रदान करता है। आर्स के पवित्र पुरोहित संत जोन मेरी वियन्नी अपने
विश्वासियों को स्मरण कराते थे, वे कहते थे- आपके जीवन के आरम्भ में कौन आपकी आत्मा का
स्वागत करते हैं- पुरोहित। कौन आपकी आत्मा को खिलाते तथा आपकी यात्रा के लिए शक्ति प्रदान
करते हैं- पुरोहित। अंतिम बार येसु के रक्त में स्नान कराने के बाद कौन इसको ईश्वर के
सामने प्रस्तुत होने के लिए तैयार करेगा- पुरोहित, केवल पुरोहित।
प्रिय मित्रो,
पोईतियरस के संत हिलरी की प्रार्थना को हम अपनी प्रार्थना बनायें। मुझमें इस सही विश्वास
को मेरी अंतिम साँस लेने तक शुद्ध रूप में संरक्षित रखें, मेरे अंतःकरण की इस आवाज को
मुझे प्रदान करें ताकि मैं उसके प्रति निष्ठावान रहूँ जिसमें मैंने अपने पुनः जन्म लेने
का संकल्प लिया था जब मुझे पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ईश्वर के नाम पर बपतिस्मा दिया
गया था।
धन्य कुँवारी माता मरिया, पहली सृष्टि जिसमें पवित्र त्रित्व ने निवास
किया, उनकी मध्यस्थता और सुरक्षा की याचना करें ताकि इस पृथ्वी पर अपनी तीर्थयात्रा को
हम अच्छी तरह पूरी कर सकें।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।