2010-05-26 12:11:50

कोरियाः कोरियाई तनावों को कम करने के लिये कलीसिया की प्रार्थना


कोरियाई प्रायद्वीप में उत्पन्न तनावों की पृष्टभूमि में काथलिक कलीसिया के नेताओं ने प्रार्थनाओं की अपील की है।
26 मार्च को एक दक्षिण कोरियाई युद्धपोत पर आक्रमण कर उसे डूबो दिया गया था। युद्धपोत के डूबने से 46 दक्षिण कोरियाई नागरिकों के प्राण चले गये थे।
उत्तर कोरिया पर युद्धपोत को डूबोने का आरोप लगाते हुए रविवार को दक्षिण कोरिया ने घोषणा की थी कि वह उत्तर कोरिया के साथ व्यापारिक संबंध निलंबित करने जा रहा है जबकि मंगलवार को उत्तर कोरिया ने कहा था कि वो दक्षिण कोरिया से सारे संबंध तोड़ रहा है जिसके तहत वह दक्षिण कोरियाई विमानों और जहाज़ों को अपनी जल तथा वायु सीमा में प्रवेश नहीं करने देगा तथा उससे संचार संपर्क भी नहीं रखेगा।
कोरिया की लोकधर्मी काथलिक समिति के अध्यक्ष फाबियानो होंग जून ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी होने के नाते हमें शांति और पुनर्मिलन में विश्वास रखना चाहिये तथा आशा का परित्याग नहीं करना चाहिये। सभी काथलिक धर्मानुयायियों का उन्होंने आह्वान किया कि वे दोनों कोरिया के बीच शांति के लिये सतत् प्रार्थना करें।
बताया जाता है कि 26 मार्च को पीले सागर में युद्धपोत का डूबोया जाना देश के लिये 1950 से 1953 तक चले युद्ध के बाद से सर्वाधिक गम्भीर सैन्य क्षति थी। एक अन्तरराष्ट्रीय जाँचकर्त्ता दल के अनुसार उत्तर कोरिया की एक पन्नडुप्पी से निकले टोरपेडो से दक्षिण कोरिया के युद्धपोत पर आक्रमण किया गया था।
इस बीच, एशिया की यात्रा कर रही अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी, दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में, कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में उत्पन्न संकट के लिए उत्तर कोरिया ज़िम्मेदार है और इस बात के पुख़्ता सुबूत हैं कि दक्षिण कोरियाई युद्धपोत को उत्तर कोरिया ने डुबोया है। हिलेरी का कहना था कि दक्षिण कोरियाई युद्धपोत पर हमले को लेकर उत्पन्न तनावों को कम करने के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ठोस कदम उठाने होंगे।









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