स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना के पाठ से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16
वें का सन्देश
श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 23 मई को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण
में देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द
मना प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने भक्तों और पर्यटकों को सम्बोधित करते
हुए कहा-
अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,
हम पास्का पर्व के 50 दिन बाद पेंतेकोस्त
का समारोही पर्व मनाते हैं जिसमें हम पवित्र आत्मा की शक्ति के प्रदर्शन का स्मरण करते
हैं जो आँधी और आग के समान कमरे में एकत्रित शिष्यों पर उतरा और उन्हें सब राष्ट्रों
में साहस के साथ सुसमाचार का प्रचार करने में समर्थ बनाया। पेंतेकोस्त का रहस्य जिसे
हम कलीसिया के सच्चे बपतिस्मा की घटना के साथ जोड़ते हैं इसका अर्थ पूरी तरह समाप्त नहीं
हो जाता है। वास्तव में पवित्र आत्मा के निःसरण से कलीसिया निरंतर जीवन जीती है, इसके
बिना वह अपनी सारी ताकत समाप्त कर देगी। वह एक चलनेवाले पोत के समान होगी और वायु नहीं
है। पेतेंकोस्त कुछ सशक्त पलों में, विशेष रूप से नवीकृत होता है वह चाहे स्थानीय या
सार्वभौमिक स्तर पर हो, अथवा छोटे समुदाय या महासम्मेलनों में।
उदाहरण के लिए
कौंसिल में ऐसे सत्र थे जहाँ पवित्र आत्मा के विशेष वरदानों को महसूस किया गया और इनमें
निश्चित रूप से द्वितीय वाटिकन एकतावर्द्धक महासभा थी। हम यह भी याद कर सकते हैं कि यहां
संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में 1998 में पेतेकोस्त पर्व के दिन ही वंदनीय संत
पापा जोन पौल द्वितीय के साथ कलीसियाई अभियानों की समारोही बैठक का समारोह मनाया गया
था। कलीसिया जानती है कि असंख्य पेतेकोस्त ने स्थानीय समुदायों को अनुप्राणित किये हैं।
हम पूजन धर्मविधि पर विचार करते हैं विशिष्ट रूप से वे, जो समुदाय के जीवन के विशेष क्षण
में अनुभव किये गये, जिसमें ईश्वर की ताकत को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया गया, जिसने
आत्माओं में आनन्द और उत्साह भर दिया है। हम अनेक प्रार्थना अवसरों का स्मरण करते हैं
जिसमें युवा स्पष्ट रूप से अपने जीवन को ईश्वर के प्रेम में जड़ जमाने देने के आह्वान
को महसूस करते हैं, यहाँ तक कि अपने आप को पूर्ण रूप से ईश्वर को समर्पित कर देते हैं।
इस प्रकार, पेंतेकोस्त के बिना कलीसिया नहीं है। मैं यहाँ यह जोड़ना
चाहता हूँ कि कुँवारी माता मरियम के बिना पेंतेकोस्त नहीं है। यही वह था जो शुरू में
था, कमरे में जहाँ शिष्य इकट्ठे और प्रार्थना में संयुक्त थे, उनके साथ कुछ महिलाएँ,
मरियम येसु की माँ और अन्य भाई थे जैसा कि प्रेरित चरित में कहा गया है और यही वह है
जो हमेशा हर जगह और हर युग में रहा है। मैंने इसका साक्षात्कार कुछ समय पूर्व फातिमा
में किया। मरियम तीर्थालय में उपस्थित बड़ी भीड़ का अनुभव जहाँ हम सबलोग एक ह्दय और एक
प्राण हो गये थे क्या यह नवीकृत पेंतेकोस्त नहीं हैः हमारे बीच मरियम येसु की माँ थी।
यही विशिष्ट अनुभव है महान मरियम तीर्थालयों- लूर्द ग्वादालूपे, पोम्पेई लोरतो या फिर
छोटे तीर्थालयों का। जहाँ भी ईसाई मरिया के साथ प्रार्थना करने के लिए जमा होते हैं प्रभु
अपना आत्मा देते हैं।
प्रिय मित्रो, पेंतेकोस्त पर्व के दिन में हम भी ख्रीस्त
और कलीसिया की माँ के साथ आध्यात्मिक रूप से संयुक्त होना चाहते हैं और विश्वासपूर्वक
पवित्र आत्मा के नवीकृत निःसरण के लिए याचना करते हैं। यह हम सम्पूर्ण कलीसिया के लिए
करते हैं विशेष रूप से पुरोहितों के वर्ष में सुसमाचार के सब सेवकों के लिए ताकि सब देशों
में मुक्ति के संदेश की उदघोषणा की जाये।
इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग
की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।