2010-05-21 17:23:40

यूरोप का भविष्य अपनी ख्रीस्तीय जड़ों को नवीकृत करने में है


ख्रीस्तीयों के मध्य एकता के प्रसार संबंधी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल वाल्टर कास्पर ने यूरोप के आर्थोडोक्स और काथलिक चर्चों पर रोम में 19 से 20 मई तक आयोजित दो दिवसीय गोष्ठी में यूरोप के भविष्य पर अपना चिंतन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यूरोप यदि अपना भविष्य फिर से बनाना चाहता है तो इसे सबसे पहले अपनी ख्रीस्तीय जड़ों को नवीकृत करना होगा। कलीसियाई एकतावर्द्धकता तथा ख्रीस्तीयों के मध्य पूर्ण एकात्मता के लक्ष्य को पाने के लिए संवाद करने की जरूरत है न कि दबाव या मौन स्वीकृति की। कार्डिनल महोदय ने पूर्वी और पाश्चात्य कलीसियाओं के बीच संबंध के प्रति समर्पण में नवीन संवेग और आकस्मिक जरूरत का स्मरण करते हुए कहा कि बर्लिन दीवार के गिरने के बाद की स्थिति ने 11 वीं सदी में रोम और कुस्तुंतुनिया के मध्य हुए अलगाव को भी सतह पर ला दिया। दोनों पक्षों में अस्तित्व संबंधी खालीपन के साक्ष्य देखे गये। उन्होंने कहा कि यूरोप महाद्वीप के नवीनीकरण की सफलता इसमें है कि इसका फिर से सुसमाचारीकरण हो। यूरोप को अपनी आध्यात्मिक और मिशनरी ताकत पाने के लिए ख्रीस्तीयों के मध्य नये सिरे से आई एकता की जरूरत होगी। वाटिकन में रूसी आध्यात्मिकता और संस्कृति के दिवस शीर्षेक से आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रमों का समापन गुरूवार संध्या वाटिकन के संत पापा पौल षष्ठम सभागार में आयोजित संगीत समारोह से हुआ जो रूसी आर्थोडोक्स प्राधिधर्माध्यक्ष किरील प्रथम की ओर से संत पापा के लिए उपहार था।








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