वाटिकन सिटीः वेसाख के अवसर पर विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों को वाटिकन की शुभकामनाएँ
वाटिकन की अन्तरधार्मिक वार्ता सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने वेसाख पर्व के उपलक्ष्य
में विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों के नाम शुभकामना सन्देश प्रेषित किया है।
कुछ
देशों में वेसाख पर्व 21 मई को और कुछ देशों में 28 मई को मनाया जा रहा है।
परिषद
अध्यक्ष कार्डिनल जाँ लई तौराँ तथा उपाध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष चेलाता द्वारा हस्ताक्षरित
सन्देश में मानव जीवन के सम्मान को सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का आधार निरुपित
किया गया।
सन्देश में कहा गया कि काथलिक तथा बौद्ध समुदायों के बीच सम्वाद द्वारा
दोनों धर्मों की परम्पराओं के सामाजिक एवं आध्यात्मिक आयामों के प्रति नई चेतना जाग्रत
हुई है और इस तथ्य को स्वीकृति मिली है कि दोनों ही धर्म सृष्टि के सम्मान, ध्यान, मनन
चिन्तन, विनम्रता, सादगी, दया एवं उदारता जैसे सदगुणों में विश्वास करते हैं। ये सदगुण
अहिंसा, सन्तुलन तथा सन्तोषमय जीवन में योगदान देते हैं।
सन्त पापा बेनेडिक्ट
16 वें के शब्दों को उद्धृत कर सन्देश में कहा गया कि पर्यावरण का ह्रास एवं प्राकृतिक
प्रकोप हमें स्मरण दिलाते हैं कि सृष्टि का सम्मान प्रत्येक का दायित्व है। सन्देश में
स्मरण दिलाया गया कि काथलिक कलीसिया मानती है कि पर्यावरण की सुरक्षा मानव के अखण्ड विकास
से जुड़ी है तथा अपनी ओर से वह केवल भूमि, जल एवं वायु की सुरक्षा को ही प्रोत्साहित
नहीं करती अपितु मानव जीवन के विनाश को रोकने हेतु भी लोगों को प्रेरित करती है। इस बात
को भी रेखांकित किया गया कि सृष्टि की रक्षा हेतु हमारी ज़िम्मेदारी एक दूसरे प्रति सम्मान
से प्रस्फुटित होती है क्योंकि मनुष्यों के बीच परस्पर सम्मान ही पर्यावरण की सुरक्षा
को प्रोत्साहित करता है।
मानव जीवन के प्रति सम्मान का भी सन्देश में आह्वान
किया गया जिसकी शिक्षा काथलिक एवं बौद्ध दोनों ही धर्मों द्वारा दी जाती है। इस तथ्य
पर बल दिया गया कि हर स्थिति एवं हर अवस्था में गर्भ के प्रथम क्षण से लेकर प्राकृतिक
मृत्यु तक मानव जीवन पवित्र होता है जिसकी रक्षा करना प्रत्येक का परम कर्त्तव्य होना
चाहिये। यह आशा व्यक्त की गई कि विश्व के सभी काथलिक एवं बौद्ध धर्मानुयायी मानव जीवन
एवं पर्यावरण के बीच स्वस्थ सम्बन्ध स्थापित कर विश्व में शांतिपूर्ण सहअस्तित्व तथा
सम्मानजनक जीवन यापन के तरीकों को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे।