2010-05-15 17:04:18

विश्व परिवार दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव का संदेश


संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 15 मई को मनाये गये विश्व परिवार दिवस के लिए इस वर्ष का शीर्षक था विश्व में परिवारों पर प्रवसन का प्रभाव। इस दिवस के लिए दिये गये संदेश में महासचिव श्री बान की मून ने कहा कि बढ़ती सामाजिक और आर्थिक दूरियाँ लोगों पर दबाव डालती हैं कि वे बेहतर अवसरों और जीविकोपार्जन की तलाश में अपने घर और देश को छोड़ें। बहुत लोग गरीबी, बेरोजगारी, राजनैतिक या सशस्त्र संघर्षों अथवा मानवाधिकारों के हनन के कारण पलायन करने को विवश होते हैं। अभिभावक पलायन करते हैं ताकि अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों की जीवन स्थिति में सुधार ला सकें। आश्रय देनेवाले देश में लोग बेहतर वेतन पाकर अपनी मातृभूमि में रहनेवालों के लिए धन भेजते हैं। प्रवासी आश्रय देनेवाले देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को भी समृद्ध करते हैं। प्रवासी श्रमिक महिलाएँ आजादी और स्वायत्ता पाती है और अन्यों के लिए सकारात्मक अनुकरणीय आदर्श बनती हैं। प्रवसन विभिन्न लाभों के बावजूद परिवार के सदस्यों पर गंभीर बोझ डालता है। प्रवासियों को जीवन की कठिन परिस्थितियाँ, भेदभाव तथा कम वेतन का सामना करना पड़ सकता है। वे बहुधा सामाजिक सुरक्षा से वंचित होते तथा आर्थिक संकट के समय बहुत कष्टों का सामना करते हैं। बेरोजगारी उन्हें समाज के सबसे निचले पायदान पर धकेल देती है। प्रवासियों के बच्चों को अनेक भावनात्मक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनके सामने मानव व्यापार, बाल श्रम तथा हिंसा से उत्पन्न होनेवाले खतरे बढ़ जाते हैं। प्रवसन का अधिकतम लाभ मिल सके इसके लिए सरकारों को वैसी नीतियों को लागू करने की जरूरत है जो प्रवासियों को आश्रयदाता देश में अडजस्ट करने तथा विकसित होने में मदद करे। श्री मून ने कहा कि वे उन देशों का आह्वान करते हैं जिन्होंने प्रवासी मजदूरों के परिवार के सदस्यों तथा उनके अधिकारों की रक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संविदा पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। हम विश्व परिवार दिवस के दिन सम्पूर्ण विश्व में प्रवासी परिवारों को समर्थन और सहायता देने के प्रयासों के प्रति अपने समर्पण को नवीकृत करें।








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