2010-05-13 12:28:15

फातिमा, पुर्तगालः सन्त पापा ने फातिमा की रानी मरियम को स्वर्ण गुलाब अर्पित किया


पुर्तगाल की प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें फातिमा नगर स्थित मरियम दर्शन के स्मरणार्थ निर्मित आराधनालय गये जहाँ उन्होंने मरियम के चरणों में सोने का गुलाब अर्पित किया।

फातिमा की रानी मरियम के आगे घुटने टेककर उन्होंने उस "अदृश्य हाथ" का स्मरण किया जिसने, सन् 1981 में सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, तुर्की के अली आक्जा द्वारा गोली लग जाने के बावजूद, सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की प्राण रक्षा की थी। सन्त पापा पर जानलेवा आक्रमण, फातिमा की मरियम के पर्व के दिन, सन् 1981 की 13 मई को हुआ था।

ग़ौरतलब है कि सन् 1917 ई. की 13 मई को ही कुँवारी मरियम ने पुर्तगाल के तीन बालकों को पहली बार दर्शन दिये थे। इसके बाद पाँच माहों तक बच्चों ने कई बार मरियम के दर्शन पाये थे। बच्चों के मुख से मरियम दर्शन की बात सुनकर फातिमा गाँव ही नहीं अपितु सम्पूर्ण पुर्तगाल से लगभग 70,000 लोग 13 अक्टूबर सन् 1917 ई. को मरियम दर्शन स्थल पर एकत्र हुए थे। इस अवसर पर अन्तिम बार बच्चों ने मरियम को देखा था।

मरियम दर्शन को समर्पित आराधनालय में सन्त पापा ने याद किया कि माँ मरियम को धन्यवाद देने के लिये सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने तीन बार फातिमा की तीर्थयात्रा की थी। सन् 1982 में जॉन पौल द्वितीय ने अपने शरीर में दागी गई गोली को ही मरियम को अर्पित कर दिया था जिसे मरियम प्रतिमा के मुकुट में आरोपित कर दिया गया है।

बुधवार को आराधनालय में प्रार्थना करते हुए सन्त पापा ने कहा, "यह हमारी सान्तवना का विषय है कि आपने हमारे आनन्द और हमारी आशाओं से भरे, स्वर्ण और चाँदी के मुकुट को ही धारण नहीं किया है अपितु हमारी उत्कंठाओं एवं पीड़ाओं की गोली को भी अपने मुकुट में ढो रहीं हैं।

मरियम के चरणों में सोने का गुलाब अर्पित करते हुए सन्त पापा ने कहा कि सोने का गुलाब सन्त पापा की ओर से उन सब चमत्कारों हेतु धन्यवाद ज्ञापन का प्रतीक है जो सर्वशक्तिमान् ईश्वर ने मरियम की मध्यस्थता से यहाँ पहुँचने वाले तीर्थयात्रियों के हृदयों में सम्पादित किया है।

सोने का गुलाब कलीसिया के परमाध्यक्ष द्वारा किसी को अर्पित श्रद्धा एवं सम्मान का प्रतीक है। पहले पहल यह लब्ध प्रतिष्ठित काथलिकों को सम्मानार्थ अर्पित किया जाता था, बाद में केवल राजाओं और रानियों के प्रति सम्मान प्रदर्शन हेतु किन्तु हाल के दशकों में, द्वितीय वाटिकन महाससभा के बाद से, माँ मरियम के प्रति श्रद्धार्पण हेतु सन्त पापाओं द्वारा विभिन्न मरियम तीर्थों पर अर्पित किया जाता रहा है।

प्रतिष्ठा और उत्कर्ष के इस प्रतीक की स्थापना सन्त पापा लियो नवम ने सन् 1049 ई. में की थी।

सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने अपने पाँच वर्षीय परमाध्यक्षीय काल में दस मरियम तीर्थों पर मरियम के आदर में सोने के गुलाब चढ़ायें हैं।








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