2010-05-12 13:02:34

लिसबनः क्षमा का अर्थ न्याय से छुटकारा पाना नहीं है, बेनेडिक्ट 16 वें


रोम से लिसबन की हवाई यात्रा के दौरान पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि क्षमा कर देने का अर्थ न्याय से छुटकारा पाना कदापि नहीं है। विगत माहों में प्रकाश में आये कुछेक पुरोहितों के यौन दुराचार के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया को सर्वाधिक कष्ट ख़ुद अपनी सन्तानों के पाप से हुआ है।

पत्रकार का प्रश्न था कि क्या फातिमा के सन्देश में कलीसिया द्वारा इन दिनों सही जा रही पीड़ा का संकेत मिलना सम्भव था? इसके उत्तर में सन्त पापा ने कहा कि आज कलीसिया जिस दुखद अनुभव से गुज़र रही है वह केवल कलीसिया के बाहर से होनेवाली आलोचना से नहीं है अपितु कलीसिया के अन्तर में रहनेवाले लोगों से भी वह कष्ट भोग रही है। उन्होंने कहा कि इसीलिये आज यह अनिवार्य है कि कलीसिया पश्चाताप करना सीखे, शुद्धीकरण के लिये तैयार होवे तथा एक ओर क्षमा करने के लिये तैयार होवे तो दूसरी और न्याय की आवश्यकता पर भी बल दे क्योंकि क्षमा न्याय की जगह नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दुराचार किया है उन्हें पश्चाताप, क्षमा याचना तथा न्यायोचित दण्ड भोगने के लिये भी तैयार होना चाहिये।

बुधवार को सन्त पापा ने बेलेम के सांस्कृतिक केन्द्र में एकत्र संस्कृति, शिक्षा एवं कला के गणमान्य ज्ञाताओं एवं बुद्धिजीवियों को अपना सन्देश दिया। इस समारोह में शिक्षा एवं कला जगत के 1,400 विद्धान, प्राध्यापक एवं विश्वविद्यालयीन छात्र उपस्थित हुए।








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