लिसबनः फातिमा आशा का झरोखा, सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें
पुर्तगाल की राजधानी लिसबन के विमानतल पर सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने, मंगलवार को,
देश के नाम अपना प्रथम सन्देश जारी किया। मरियम दर्शन के पात्र बने फातिमा नगर को उन्होंने
आशा का झरोखा निरूपित किया। फातिमा के तीन चरवाहों को मिले मरियम दर्शन के सन्दर्भ में
उन्होंने कहाः " ............................................. 93 वें वर्ष पूर्व की
घटना पर यदि ध्यान दिया जाये तो उस समय आशा के झरोखे रूप में पुर्तगाल पर स्वयं स्वर्ग
खुल गया था ताकि मानव परिवार के बीच एक पिता ईश्वर की स्वीकृति पर आधारित भ्रातृत्वपूर्ण
एकात्मता को पुनः रचा जा सके। यह ईश्वर की प्रेमपूर्ण योजना थी, जो किसी सन्त पापा अथवा
कलीसियाई धर्माधिकारी पर निर्भर नहीं रहती है क्योंकि, जैसा कि कार्डिनल मानुएल कारेरा
कहा करते थे, "कलीसिया ने फातिमा का प्रस्ताव नहीं किया बल्कि ख़ुद फातिमा ने स्वतः को
कलीसिया के समक्ष प्रस्तावित किया।"
सन्त पापा ने कहा, "कुँवारी मरियम स्वर्ग
से हमें सुसमाचारी सत्य के बारे में स्मरण कराने आई थीं जो प्रेम एवं आशा रहित मानवजाति
के लिये आशा का स्रोत है।" उन्होंने कहा कि प्रभु ख्रीस्त के सुसमाचार में विद्यमान जीवन
एवं प्रज्ञा के प्रति उदार रहकर ही ख्रीस्तीय धर्मानुयायी विश्व के प्रति, स्वतः के प्रति
एवं पड़ोसी के प्रति सचेत रह सकता है। जीवन एवं विश्व की प्रज्ञापूर्ण दृष्टि से ही न्यायपूर्ण
समाज का निर्माण सम्भव है। इतिहास के संग संग चलती कलीसिया उन सब लोगों एवं निकायों के
साथ सहयोग के लिये तत्पर है जो जीवन के मानवीय अर्थ को निजी क्षेत्र तक सीमित नहीं करते
हैं। सन्त पापा ने स्पष्ट किया कि यहाँ लौकिक एवं धार्मिक निकाय के बीच नैतिक लड़ाई का
प्रश्न नहीं है अपितु प्रश्न है कि हम अपनी स्वतंत्रता का क्या अर्थ लगाते हैं तथा सार्वजनिक
जीवन में उसपर किस प्रकार अमल करते हैं।
अन्त में सन्त पापा ने कहाः "पुर्तगाल
के मेरे अति प्रिय भाइयो, बहनो एवं मित्रो आपके हार्दिक स्वागत के लिये मैं आप सबके प्रति
धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। आप पर तथा इस देश के प्रत्येक निवासी पर, जिसे मैं फातिमा
की रानी मरियम के सिपुर्द करता हूँ, प्रभु की आशीष बनी रहे।"