दूसरों को येसु के समान प्रेम करना ही नयी आज्ञा है- संत पापा
ट्यूरिन, 2 मई, 2010 सोमवार (ज़ेनित) संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने कहा कि प्रेम ‘नया’
और अर्थहीन तब हो जाता है जब हम दूसरों को वैसा ही प्यार करते हैं जैसा कि येसु ने दुनिया
को प्यार किया।
उक्त बातों को संत पापा ने उस समय बताया जब उन्होंने इटली के
ट्यूरिन के अपने एक दिवसीय यात्रा के समय आयोजित यूखरिस्तीय समारोह में एकत्रित लोगों
को प्रभाषण दिया।
संत पापा ने कहा कि पुराने व्यवस्थान में भी एक-दूसरे से प्रेम
करने की चर्चा की गयी है पर यह एक सिद्धांत या निर्देश मात्र रह गया है पर जब येसु ने
दुनिया के लोगों को बताया कि एक-दूसरे को प्यार करो तो उन्होंने इसके साथ अपने जीवन
का आदर्श भी लोगों के सामने प्रस्तुत किया।
येसु ने न केवल प्रेम की व्याख्या
की वरन् उन्होंने अपने को प्रेम के आदर्श और श्रोत के रूप में प्रकट भी किया। येसु का
प्रेम असीम है, सबों के लिये है और इसमें वह ताकत है जो दुनिया सब विपरीत परिस्थियों
और बाधाओं को प्रेम में बदल सकती है।
संत पापा ने कहा कि जब येसु हमसे कहते हैं
कि वे हमें एक नयी आज्ञा दे रहे हैं तो वे हमें यही बताना चाहते हैं कि हमारा प्रेम विश्वनीय,
प्रभावपूर्ण और स्पष्ट चिह्न हो जो स्वर्गीय राज्य या नयी दुनिया बनाने की घोषणा करता
हो।
संत पापा ने कहा कि आज दुनिया में कई बातें हैं जो प्रेम का विरोध करते
हैं और बहुत सारी बातें हैं जो झगड़ों और विभाजनों को बढ़ावा देते हैं पर ईश्वर ने हमसे
प्रतिज्ञा की हैं कि वे हमारे जीवन में सदा उपस्थित रहेंगे और इस प्रेम को इतना समर्थ
कर देंगे कि वह उन सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर सके।
उन्होंने कहा कि हम येसु
से जुड़े रह कर ही दुनिया को सच्चा प्यार दे सकते हैं । संत पापा ने कहा कि येसु के
समान ही दुनिया को प्यार करना तब ही संभव है जब हमारा संबंध येसु से गहरा हो।
संत
पापा ने कहा कि दुनिया में नयी बातें की शुरुआत हो गयी है और इस श्रृंखला में सबसे बड़ी
बात है - येसु का पुनर्जीवित होना। दुनिया को नया करने का दायित्व सिर्फ़ येसु का नहीं
हैं लेकिन इसमें प्रत्येक ख्रीस्तीय को सहभागी होना है।
और जब सब कुछ नया हो
जायेगा तो इसका आनन्द अपार होगा और वहाँ दुःख, विनाश, घृणा और नफ़रत का कोई स्थान नहीं
होगा।