चर्च नेताओं ने केरल काँग्रेस पार्टी के एकीकरण प्रयास का स्वागत किया
नयी दिल्ली, 1 मई, 2010 शनिवार( उकान) केरल के चर्च नेताओं ने केरल काँग्रेस पार्टी
का दो दशकों के साथ के बाद कम्यूनिस्ट पार्टी से अलग होकर दूसरे गुट से मिल जाने का स्वागत
किया है। उक्त बात की जानकारी देते हुए सिरोमालाबार कलीसिया के प्रवक्ता फादर पौल
थेलाकाट ने कहा है कि केरल में सार्वजनिक कार्य मंत्री पी.जे. जोसेफ ने कम्युनिस्ट पार्टी
के मंत्रिमंडल के मंत्री पद से इस्तीफा देने का निर्णय किया है। उन्होंने उकान समाचार
को यह भी बताया कि वे कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होने के बाद वे अपने पुराने गुट में
शामिल हो जायेंगे जिसका नेतृत्व के.एम.मानी कर रहे हैं जो एक प्रभावशाली काथलिक नेता
हैं। विदित हो कि केरला काँग्रस पार्टी की स्थापना सन् 1964 ईस्वी में की गयी थी
। यह पार्टी ओरिएनटल सिरो मालाबार कलीसिया का राजनीतिक विंग हुआ करता था। चार दशकों पहले
141 सदस्य वाली केरल विधान सभा में इसके 25 सदस्य थे लेकिन बाद राजनीतिक लाभ के लिये
यह दल कई अन्य धड़ों में विभक्त हो गया था। फादर पौल थेलाकाट ने बताया कि इसके कई
गुट हैं और इन गुटों के नेता दल को चलाने में सक्षम हैं । इन दलों के एक में आ जाने से
पूरी पार्टी मजबूत होगी और इसके नेता राज्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने
आशा व्यक्त की है कि दो गुट के मिल जाने से अन्य दो गुटों को एकता के एकसूत्र में बँधने
की प्रेरणा मिलेगी। सिरोमलाबार कलीसिया के प्रवक्ता फादर ने कहा कि हाँलाकि केरल काँग्रेस
पार्टी ईसाइयों की पार्टी है पर यह एक धर्मनिर्पेक्ष पार्टी है और सब धर्मों से बराबरी
की दूरी रखती है। कुछ लोगों ने यह आरोप लगाया है कि सार्वजनिक कार्य मंत्री ने धर्माध्यक्षों
के दबाव में आकर मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है पर फादर फिलिप नेलपुरमपरमबिल ने इस आरोप
का खंडन किया है। उनका कहना है कि धर्माध्यक्षों का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं हैं। चर्च
सूत्रों ने बताया कि कम्युनिस्ट सरकार ने कई मामलों में चर्च के सिद्धांतों के विपरीत
निर्णय लिया था विशेषकर के शिक्षा नीति के संबंध में। चर्च का भय है कि कम्युनिस्ट
सरकार की शिक्षा नीति से नास्तिक विचारों का प्रचार हो सकता है।