भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत नवीन आँकड़ों के अनुसार विश्व के एक तिहाई ग़रीब लोग भारत
में जीवन यापन करते हैं। नये सिरे से निर्धनों की गिनती से ज्ञात हुआ है कि पूर्वानुमान
की तुलना में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक
है। आँकड़ों के अनुसार सन् 2004 में निर्धनता की रेखा के नीचे जीवन यापन करनेवाले
भारत में 27.5 प्रतिशत थे जो अब बढ़कर 37.2 प्रतिशत हो गये है। संयुक्त राष्ट्र संघ
के अनुसार प्रतिदिन लगभग 55 रुपए से कम पर जीवन यापन के लिये बाध्य लोग ग़रीबी रेखा
से नीचे आते हैं। भारत सरकार उन लोगों को ग़रीबी रेखा से नीचे मानती है जिनको आवश्यक
पोषक तत्वों की ज़रुरत के लिए कम से कम एक वक़्त खाना न मिल पा रहा हो। इस बीच, भारत
सरकार कुपोषण के विरुद्ध संघर्षरत है जो उसके विकास पर एक कलंक है। विश्वव्यापी भुखमरी
अभिसूचक के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 23 प्रतिशत तथा पाँच वर्ष की आयु से कम 43.5
प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यह भी कहा गया कि भारत के केवल 57 प्रतिशत पुरुष
एवं 52 प्रतिशत महिलाओं का वज़न उनकी ऊँचाई के अनुपात में स्वस्थ कहा जा सकता है। 28
प्रतिशत बच्चे जन्म के समय ही सामान्य से कम वज़न के होते हैं।