निर्धनों की सहायता के लिए सूचना अधिकार कानून का बेहतर उपयोग
भारत के मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हब्बीबुल्ला ने कलीसाई कार्यकर्त्ताओं से आग्रह किया
है कि वे निर्धनो की सहायता करने के लिए सूचना पाने का अधिकार संबंधी कानून का बेहतर
उपयोग करें। गुजरात राज्य के अहमदाबाद स्थित संत जेवियर उच्च विद्यालय में राइट टू इनफोरमेशन
चैलेजेस इन मेकिंग इट मोर इफेक्टिव शीर्षक से सेमिनार का आयोजन येसुसमाजियों द्वारा निर्देशित
प्रशान्त नामक मानवाधिकार समूह ने किया था। श्री हब्बीबुल्ला ने सेमिनार के लगभग 300
प्रतिभागियों को 13 अप्रैल को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूचना पाने का अधिकार संबंधी
कानून के पारित होने के पाँच साल बीत जाने के बाद भी अनेक भारतीय इस कानून के बारे में
अनभिज्ञ हैं जो उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी पाने में सक्षम बनाता है।
मुख्य सूचना आयुक्त ने लोगों विशेष रूप से युवाओं को इस विषय में जागरूक करने का प्रतिभागियों
से आग्रह किया ताकि गर्वनन्स में लोग और अधिक सहभागी हो सकें। उन्होंने एक अध्ययन का
संदर्भ देते हुए कहा कि शहरी क्षेत्रों में मात्र 30 फीसदी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में
10 फीसदी लोगों को ही इस कानून के बारे में जानकारी है। युवाओं के बीच जागरूकता तो शहरों
में मात्र 2 फीसदी तथा गाँवों में 2.5 फीसदी है। उन्होंने कहा कि चर्च समूह अपने नेटवर्कों
का उपयोग इस कानून के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कर सकते हैं जिसका उद्देश्य निर्धनों
तथा वंचितों को सशक्त बनाना है। प्रशान्त समूह के संचालक फादर सेद्रिक प्रकाश ने कहा
कि कलीसिया इस कानून का व्यापक उपयोग करे ताकि समाज के हर स्तर में और अधिक जिम्मेदारी
और पारदर्शिता की भावना हो। अहमदाबाद के धर्माध्यक्ष थोमस मकवान ने सेमिनार के प्रतिभागियों
से कहा कि कलीसियाई जन, इस कानून का उपयोग सब धर्मों के लोगों के बीच शांति मेलमिलाप
औरर प्रेम संबंधी येसु के संदेश का प्रसार करने के लिए करें। उन्होंने कहा कि सूचना पाने
का अधिकार कानून के बारे में जागरूकता का प्रसार करना कलीसियाई कर्मियों के दिव्य दायित्व
का अंग है।