2010-04-12 17:10:43

स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना से पूर्व दिया गया सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें का सन्देश


श्रोताओ, संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने रविवार 11 अप्रैल को कास्तेल गोंदोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद के प्रांगण में देश विदेश से आये लगभग दो हजार तीर्थयात्रियों तथा टेलिविजन के माध्यम से जुड़े संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने भक्तों और पर्यटकों को सम्बोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

यह रविवार पास्का अठवारा का समापन है। प्रभु द्वारा बनाया गया यह अनूठा दिवस, पुनरूत्थान और येसु को देखने पर शिष्यों के आनन्द से चिह्नित दिन है। अति प्राचीन काल से ही इस रविवार को लातिनी शब्द अल्बा जिसका अर्थ सफेद होता है, यह इन अलबिस अर्थात सफेद रविवार कहा जाता है, क्योंकि पास्का रात्रि के समय बपतिस्मा संस्कार प्राप्त करनेवाले दीक्षार्थी सफेद वस्त्र पहनते थे तथा आठ दिन अलग कर देते थे। 30 अप्रैल 2000 को वंदनीय संत पापा जोन पौल द्वितीय ने सिस्टर मारिया फौस्तीना कोवालास्की की संत घोषणा समारोह के अवसर पर इस रविवार को दिव्य करूणा का रविवार नाम दिया। संत योहन रचित सुसमाचार से इस रविवार के लिए लिया गया सुसमाचार पाठ दिव्य करूणा और भलाई के लिए बहुत समृद्ध है। यहाँ बताया गया है कि येसु, पुनरूत्थान के बाद, बंद दरवाजे को पार कर कमरे में प्रवेश करते हैं तथा अपने शिष्यों को दर्शन देते हैं। संत अगस्तीन व्याख्या करते हैं कि बंद दरवाजों ने उस शरीर के प्रवेश करने के लिए बाधा नहीं खड़ी की जिसमें दिव्यता ने जीया। अपने जन्म के समय जिन्होंने अपनी माता के कौमार्य़ को कायम रखा वे दरवाजे बंद होने के बावजूद कमरे में प्रवेश करते हैं। संत ग्रेगोरी महान ने जोड़ा कि मुक्तिदाता, अपने पुनरूत्थान के बाद एक शरीर के साथ प्रकट हुए जो अनश्वर और स्पृश्य प्रकृति का तथा महिमा की अवस्था में है। येसु ने दुःखभोग के चिह्नों को उस बिन्दु तक दिखाया कि अविश्वासी थोमस को उन्हें छूने की अनुमति मिल सके।

यह कैसे संभव है कि एक शिष्य संदेह करे तथापि वास्तव में दिव्य अनुग्रह हमें विश्वासी शिष्यों सहित अविश्वासी थोमस से भी लाभ उठाने की अनुमति प्रदान करता है। वास्तव में प्रभु के घावों का स्पर्श करते हुए झिझकनेवाला शिष्य न केवल अपनी लेकिन हमारी भी उदासीनता को दूर करता है।

पुनर्जीवित येसु का दर्शन केवल कक्ष की जगह तक सीमित नहीं है लेकिन इससे परे जाता है ताकि प्रत्येक जन रचनात्मक श्वाँस के साथ शांति और जीवन का उपहार ग्रहण कर सके। वस्तुतः येसु ने दो बार अपने शिष्यों से कहा – तुम्हें शांति मिले। और वे यह जोड़ते हैं – जिस प्रकार पिता ने मुझे भेजा, उसी प्रकार मैं तुम्हें भेजता हूँ। इतना कहने के बाद वे उनपर फूँकते हैं और कहते हैं- पवित्र आत्मा को ग्रहण करो. तुम जिन लोगों के पाप क्षमा करोगे, वे अपने पापों से मुक्त हो जायेंगे और जिन लोगों के पाप क्षमा नहीं करोगे वे अपने पापों से बँधे रहेंगे। यह कलीसिया का मिशन है जिसे हमेशा पवित्र आत्मा से सहायता मिलती है सब लोगों के लिए शुभ संदेश लाना, ईश्वर के करूण प्रेम की आनन्दपूर्ण सच्चाई लाना ताकि जैसा कि संत योहन कहते हैं- तुम विश्वास करो कि ईसा ही मसीह, ईश्वर के पुत्र हैं और विश्वास करने से उनके नाम द्वारा जीवन प्राप्त करो।

इन शब्दों के आलोक में, मैं सब मेषपालों को प्रोत्साहन देता हूँ कि आर्स के पवित्र पल्ली पुरोहित संत जोन मेरी वियन्नी के उदाहरण का अनुसरण करें जो, अपने समय में असंख्य लोगों के जीवन और दिलों में पूर्ण परिवर्तन लाने में समर्थ थे क्योंकि उन्होंने ईश्वर के उदार और करूणामय प्रेम को अनुभव करने में लोगों को सक्षम बनाया। हमारे अपने समय में इसी प्रकार की उदघोषणा करने तथा प्रेम के सत्य की साक्षी देने की अपरिहार्य जरूरत है। इस तरह से हम उनका और अधिक परिचित तथा निकट साक्ष्य दे सकेंगे जिनको हमारी आँखों ने नहीं देखा है लेकिन जिनकी असीम उदारता के प्रति हम आश्वस्त हैं। हम मरियम, प्रेरितों की रानी से निवेदन करते हैं कि कलीसिया के मिशन को धारण करें तथा हम सानन्द उनकी मध्यस्थता की कामना करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी आनन्द मना प्रार्थना का पाठ करने के बाद सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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