बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश 7 अप्रैल,
2010
रोम, 7 अप्रैल, 2010 (सेदोक) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें
ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न
भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में कहा-
प्रिय भाइयो
एवं बहनों, काथलिक कलीसिया ने तीन दिन पूर्व ही येसु के पुनर्जीवित होने का महापर्व पास्का
या ईस्टर का महोत्सव मनाया है।
आज पूरी कलीसिया पास्का के आध्यात्मिक आनन्द परिपूर्ण
है। येसु का मृतकों में से जी उठना पूरे मानव इतिहास की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है।
यह
एक ऐसा रहस्य है जिसे मानव की कल्पना से परे हैं। इतना ही नहीं यह एक ऐसी सच्ची घटना
है जिसके साक्षी येसु के पुनर्जीवित होने की घटना को बताने के लिये पूरे विश्व में फैल
गये ।
आज की नयी पीढ़ी को भी चाहिये कि वे येसु के क्रूसित होने और जी उठने
की घटना के बारे में पूरी दुनिया को बतायें। येसु के प्रत्येक शिष्य दायित्व है कि वह
येसु के जी उठने की सत्यता और उसकी शक्ति का साक्ष्य दे एवं घोषित करे जिसे पुनर्जीवित
येसु ने उस पर प्रकट किया है।
संत मारकुस के सुसमाचार के अन्त में यह बताया गया
है कि येसु ने शिष्यों के साथ कार्य किया और अपने मिशन को पूर्ण विभिन्न चिह्नों द्वारा
पूर्ण भी किया।
आज भी पुनर्जीवित येसु चाहते हैं कि हमारे साथ कार्य करें ताकि
हमारे बातों और कार्यों में लोग येसु के प्रेम की शक्ति की झलक पा सकें।
पास्काकाल
में पुनर्जीवित येसु का व्यक्तिगत अनुभव हमारे विश्वास, प्रेम और आशा को सुदृढ़ करे और
हमें प्रेरित करे ताकि हम पूरे मन दिल और शब्दों से इस बात की घोषणा कर सकें कि ‘येसु
सचमुच जी उठे हैं’। इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया।
उन्होंने
आइरिस पोन्तिफिकल कॉलेज के नव अभिषिक्त डीकनों के लिये प्रार्थनायें की और कहा कि ईश्वर
उन्हें नम्र बनाये ताकि वे अपने-अपने देश में ईश्वर की सेवा ईमानदारीपूर्वक कर सकें।
उन्होंने इंगलैंड, आयरलैंड, स्कोटलैंड, स्वीडेन, मॉल्टा, क्रोएशिया, ऑस्ट्रेलिया,
जापान अमेरिका के तीर्थयात्रियों, पुरोहितों, धर्मसमाजियों, धर्मबहनों, धर्मबंधुओं और
उपस्थित लोगों एवं उनके परिवार के सब सदस्यों पर पुनर्जीवित येसु की कृपा और शांति की
कामना करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।