2010-04-02 09:05:05

पुण्य शुक्रवार 2 अप्रैल के लिये प्रस्तावित सुसमाचार पाठ, नया विधानः (योहन 19, 17-37)


"वे ईसा को ले गये और वह अपना क्रूस ढोते हुये खोपडी की जगह नामक स्थान गये। इब्रानी में उसका नाम गोलगोथा है। वहाँ उन्होंने ईसा को और उनके साथ और दो व्यक्तियों को क्रूस पर चढाया- एक को इस ओर, दूसरे को उस ओर और बीच में ईसा को।

पिलातुस ने एक दोषपत्र भी लिखवा कर क्रूस पर लगवा दिया। वह इस प्रकार था- ''ईसा नाजरी यहूदियों का राजा।'' बहुत-से यहूदियों ने यह दोषपत्र पढा क्योंकि वह स्थान जहाँ ईसा क्रूस पर चढाये गय थे, शहर के पास ही था और दोष पत्र इब्रानी, लातीनी और यूनानी भाषा में लिखा हुआ था इसलिये यहूदियों के महायाजकों ने पिलातुस से कहा, ''आप यह नहीं लिखिये- यहूदियों का राजा; बल्कि- इसने कहा कि मैं यहूदियों का राजा हूँ।'' पिलातुस ने उत्तर दिया, ''मैंने जो लिख दिया, सो लिख दिया।''

ईसा को क्रूस पर चढाने के बाद सैनिकों न उनके कपडे ले लिये और कुरते के सिवा उन कपडों के चार भाग कर दिये- हर सैनिक के लिये एक-एक भाग। उस कुरते में सीवन नहीं था, वह ऊपर से नीचे तक पूरा-का-पूरा बुना हुआ था। उन्होंने आपस में कहा, ''हम इसे नहीं फाडें। चिट्ठी डालकर देख लें कि यह किसे मिलता है। यह इसलिये हुआ कि धर्मग्रंथ का यह कथन पूरा हो जाये- उन्होंने मेरे कपडे आपस में बाँट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली। सैनिकों ने ऐसा ही किया।

ईसा की माता, उसकी बहिन, क्लोपस की पत्नि मरियम और मरियम मगदलेना उनके क्रूस के पास खडी थीं। ईसा ने अपनी माता को और उनके पास अपने उस शिष्य को, जिसे वह प्यार करते थे देखा। उन्होंने अपनी माता से कहा, ''भद्रे! यह आपका पुत्र है''। इसके बाद उन्होंने उस शिष्य से कहा, ''यह तुम्हारी माता है''। उस समय से उस शिष्य ने उसे अपने यहाँ आश्रय दिया।

तब ईसा ने यह जान कर कि अब सब कुछ पूरा हो चुका है, धर्मग्रन्थ का लेख पूरा करने के उद्देश्य से कहा, ''मैं प्यासा हूँ''। वहाँ खट्ठी अंगूरी से भरा एक पात्र रखा हुआ था। लोगों ने उस में एक पनसोख्ता डुबाया और उसे जूफ़े की डण्डी पर रख कर ईसा के मुख से लगा दिया। ईसा ने खट्ठी अंगूरी चखकर कहा, ''सब पूरा हो चुका है''। और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिये।

वह तैयारी का दिन था। यहूदी यह नहीं चाहते थे कि शव विश्राम के दिन कू्रस पर रह जाये क्योंकि उस विश्राम के दिन बड़ा त्यौहार पडता था। उन्होंने पिलातुस से निवेदन किया कि उनकी टाँगें तोड दी जाये और शव हटा दिये जायें इसलिये सैनिकों ने आकर ईसा के साथ क्रूस पर चढाये हुये पहले व्यक्ति की टाँगें तोड दी, फिर दूसरे की। जब उन्होंने ईसा के पास आकर देखा कि वह मर चुके हैं तो उन्होंने उनकी टाँगें नहीं तोडी; लेकिन एक सैनिक ने उनकी बगल में भाला मारा और उस में से तुरन्त रक्त और जल बह निकला। जिसने यह देखा है, वही इसका साक्ष्य देता है, और उसका साक्ष्य सच्चा है। वह जानता है कि वह सच बोलता है, जिससे आप लोग भी विश्वास करें। यह इसलिये हुआ कि धर्मग्रंथ का यह कथन पूरा हो जाये- उसकी एक भी हड्डी नहीं तोडी जायेगी; फिर धर्मग्रन्थ का एक दूसरा कथन इस प्रकार है- उन्होंने जिसे छेदा, वे उसी की ओर देखेगें।"










All the contents on this site are copyrighted ©.