2010-04-02 11:42:18

गुड फ्राइडे पर चिंतन


गुड फ्राइडे अर्थात् पुण्य शुक्रवार मानवजाति को पाप की दासता और बुराई की जंजीरों से मुक्त करने के लिए येसु ख्रीस्त द्वारा अर्पित आत्म बलिदान का स्मृति दिवस है। इस दिन विश्व के ख्रीस्तानुयायी प्रभु येसु की प्राणपीड़ा, गिरफ्तारी, दुःखभोग,मृत्यु और दफन का विशेष रूप से स्मरण करते हैं। इस दिन की पूजनधर्मविधि की विशेषताएँ हैं- पवित्र धर्मग्रंथ बाइबिल से येसु ख्रीस्त के दुःखभोग वृत्तांत का पाठ, कलीसिया और सम्पूर्ण विश्व के लिए विशेष प्रार्थनाएँ, पवित्र क्रूस की आराधना तथा अंत में पवित्र परमप्रसाद का वितरण। इसके बाद ख्रीस्तीय धर्मानुयायी क्रूस रास्ता या वे ओफ द क्रोस प्रार्थना के माध्यम से प्रभु येसु के कष्टों और पीडा़ओं पर मनन चिंतन करते हुए आत्मिक रूप से उनके दुःखभोग में शामिल होते हैं। वे पाप और बुराई के बंधन से मुक्त करनेवाले अनमोल वरदान के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिसे येसु ख्रीस्त ने कलवारी पर्वत पर, क्रूस के काठ पर अपने शरीर और रक्त की कीमत पर मानवजाति के लिए अर्जित किया।

ईश्वर का प्रेम शर्त्तविहीन है। वे इंसान को हर परिस्थिति में प्यार करते हैं। उनके प्रेम को मापा नहीं जा सकता है। मानव के प्रति उनका असीम प्रेम पतित मानव को फिर एक बार मुक्ति दिलाने के लिए प्रकट हुआ। इस मुक्ति कार्य के पीछे ईश्वर की परम दयालुता, अपार क्षमाशीलता, अनन्य करूणा और अद्वितीय उदारता का रहस्य है। प्रभु येसु की मृत्यु और पुनरूत्थान ही मानव की मुक्ति का रहस्य है। क्रूस जो निकृष्टतम प्राणदंड का उपाय था, घोर अपमानजनक मृत्यु का प्रतीक था महापुरोहित प्रभु येसु के आत्म बलिदान द्वारा सम्पूर्ण मानवजाति के लिए ईश्वर के असीम प्रेम का मुक्तिदायी चिह्न बन गया।


बुधवार को आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा ने कहा कि कलीसिया येसु की मृत्यु और जी उठने का समारोह मनाने की तैयारी कर रही है, वे बीमारियों से पीडि़त लोगों को प्रोत्साहन देते हैं कि परीक्षा और निराशा के पलों में येसु के क्रूस में दैनिक समर्थन खोजें। येसु के दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान पर मनन चिंतन उन्हें ख्रीस्तीय साक्ष्य देने के लिए और अधिक मजबूत करे।

रोम में कोलोसियम के पास गुड फ्राइडे के उपलक्ष्य में संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें की अध्यक्षता में सम्पन्न होनेवाले इस वर्ष के क्रूस मार्ग प्रार्थना के लिए मनन चिंतन रोम के भूतपूर्व भिकर 79 वर्षीय कार्डिनल कामिल्लो रूईनी ने लिखा है। उन्होंने कहा कि यह बहुमूल्य अवसर हो सकता है जो विश्वासियों को विश्वास के मूल तक जाने में सहायता कर सके। इस मनन चिंतन को तैयार करने के लिए उन्होंने चारों सुसमाचारों के सारांश और द्वितीय वाटिकन महासभा के मेषपालीय संविधान गाउदियुम एट स्पेस अर्थात आशा में आनन्द नामक दस्तावेज की सहायता ली । इस मनन चिंतन का केन्द्रीय संदेश है कि येसु में हम मानव के यथार्थ चेहरे तथा ईश्वर के यथार्थ मुखमंडल को देखते हैं। उनके क्रूस और उनके पुनरूत्थान में जो एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते हैं इसमें देहधारी शब्द के रहस्य और ख्रीस्त के देहधारण का अर्थ अपनी पूर्णता में प्रकट होता है। कार्डिनल रूईनी ने कहा कि कोलोसियम के पास सम्पन्न होनेवाला क्रूस रास्ता महत्वपूर्ण है न केवल इस लिए कि इसमें अनेक लोग सहभागी होते हैं और इसका प्रसारण सारे विश्व में किया जाता है बल्कि इसलिए कि यह महान अवसर है, पास्का रहस्य के मूल तक, अपने विश्वास की जड़ तक जाने में हमारी सहायता करता है। कुछेक पुरोहितों द्वारा किये गये बाल यौन दुराचार प्रसंगों के मीडिया पर छाये रहने के संदर्भ में कार्डिनल महोदय ने कहा कि पीड़ा सहने के दो उद्देश्य हैं- कलीसिया की संतान के दोषों के लिए पीड़ा सहना विशेषकर कुछ पुरोहितों द्वारा किये गये यौन दुराचार के कलंक से उत्पन्न पीड़ा जो कलीसिया पर से ही भरोसे को समाप्त कर देना चाहती है। उन्हें भय है कि अंत में यह मानव के हृदय से ख्रीस्त पर विश्वास, ईश्वर पर विश्वास को ही समाप्त कर देना चाहती है। दूसरा- क्रूस के पथ पर येसु के साथ चलने के द्वारा हममें से प्रत्येक जन को बुलाया गया है कि हम सबसे पहले ईमानदारीपूर्वक अपने पाप को देखें। कार्डिनल रूईनी ने कहा कि मनन चिंतन तैयार करने में संत पापा जोन पौल द्वितीय की याद से उन्हें सहायता मिली विशेष रूप से उनकी छवि, जब वे कोलोसियम से पालातिन तक चलने में सक्षम थे, वे कठिनाईयों और पीड़ा के बावजूद प्रभु का अनुसरण करने के लिए दृढ़ संकल्प थे। कार्डिनल महोदय ने कहा कि बंदीगृहों के अंदर रहनेवालों के चेहरे भी हमारे सामने आते हैं। उनकी आशा है कि क्रूस मार्ग प्रार्थना के लिए तैयार मनन चिंतन बाधा नहीं लेकिन हम में से प्रत्येक जन की प्रतीक्षा कर रहे क्रूसित येसु को निजी जवाब देने में एक छोटी सहायता होगी। गौर किया जाये कि 2 अप्रैल को संत पापा जोन पौल द्वितीय के निधन की 5 वीं बरसी भी है।


क्रूस पर टंगे येसु की चर्चा करते हुए न्यू लीडर पत्रिका में प्रकाशित एक कथा की याद आ रही है जिसमें कहा गया है कि एक बालक को पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वह हर विषय में फेल हो रहा था। उसके माता पिता ने उसमें पढ़ाई के प्रति रूचि जगाने का यथासंभव प्रयास किया। उन्होंने बच्चे को प्यार से समझाया, डाँटा, विभिन्न प्रकार के प्रलोभन दिये, मनोचिकित्सकों से भी सलाह मशविरा किया लेकिन फिर भी वे असफल रहे। अंत में किसी संबंधी ने उन्हें सलाह दी कि येसुसमाजियों द्वारा संचालित विद्यालय में बच्चे का अडमिशन करा दें। उस बच्चे को निकटवर्ती विद्यालय में अडमिशन करा दिया गया। प्रथम सत्र की परीक्षा समाप्त होने पर माता पिता के आश्चर्य़ की सीमा नहीं रही वह बालक न केवल सब विषयों में पास हुआ बल्कि तीन विषयों में अव्वल भी रहा। बच्चे के माता पिता विद्यालय के हेडमास्टर को धन्यवाद देने के लिए आये यह सोचकर कि इस सुखद परिवर्तन के लिए वे ही जिम्मेदार हैं। हेडमास्टर ने विनम्रतापूर्वक अभिभावकों की कृतज्ञता स्वीकार कर बच्चे को अपने कार्यालय में बुलाया। उसकी सफलता का कारण जानने के लिए पूछे जाने पर बच्चे ने बहुत ही मासूमियत से हेडमास्टर की आफिस की दीवार में लगी क्रूस की ओर देखते हुए कहा कि जब मैंने क्रूस पर टंगे उस मनुष्य को देखा तो मैं डर गया कि आप पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं और मैंने कोई चांस नहीं लिया। इस कथा से ज्ञात होता है कि उस बच्चे ने भयभीत होने पर भी अकादमिक क्षेत्र में अच्छा फल उत्पन्न किया।


क्रूस कहने से ही हमारी आँखों के सामने हर प्रकार के कष्ट, पीड़ा तथा मृत्यु का दृश्य आता है और हम भयभीत हो सकते हैं लेकिन क्रूसित प्रभु के बलिदान में हमें आशा, मुक्ति और प्रगति की किरण दिखाई देती है। इसलिए गुड फ्राइडे के अवसर पर हम भी अपने वर्तमान और भावी जीवन को देखते हुए गंभीरतापूर्पक विचार करें कि वैश्वीकरण के दौर में, घोर व्यक्तिवादी, भौतिकतावादी और उपभोक्तावादी संस्कृति के माहौल में हमें कौन कौन सी भौतिक बाधाओं, मानसिक बेड़ियों और भावनात्मक जंजीरों से मुक्त होने की जरूरत है, कौन कौन से तत्व ईश्वरीय योजना के अनुसार आंतरिक और बाह्य रूप से स्वतंत्र होकर पूर्ण जीवन जीने में हमारे सामने बाधक सिद्ध होते हैं।


प्रभु येसु के क्रूस पर आत्मबलिदान का संदेश है- उनकी कोमल करूणा और असीम क्षमाशीलता सबलोगों के लिए सदा सर्वदा बनी रहती है। इसलिए हम भी प्रभु येसु के प्रेम और सेवा करने के आदेश को दैनिक जीवन में लागू करें ताकि नफरत, हिंसा, संघर्ष और धार्मिक उत्पीड़न से मुक्त विश्व की रचना करने के लिए क्रूसित येसु के हाथ और पाँव बन सकें। निःस्वार्थ सेवा और महान प्रेम के इस पथ पर चलने के लिए गुड फ्राइडे अर्थात् पुण्य शुक्रवार हमें निमंत्रण दे रहा है।







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