2010-04-01 07:10:57

नया विधान सुसमाचार सन्त योहन के अनुसार अध्याय 13 पद संख्या 1 से 15


"पास्का पर्व का पूर्व दिन था। ईसा जानते थे कि मेरी घडी आ गयी है और मुझे यह संसार छोडकर पिता के पास जाना है। वे अपनों को, जो इस संसार में थे, प्यार करते आये थे और अब अपने प्रेम का सब से बडा प्रमाण देने वाले थे। शैतान व्यारी के समय तक सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस के मन में ईसा को पकडवाने का विचार उत्पन्न कर चुका था। ईसा जानते थे कि पिता ने मेरे हाथों में सब कुछ दे दिया है, मैं ईश्वर के यहाँ से आया हूँ और ईश्वर के पास जा रहा हूँ।

उन्होनें भोजन पर से उठकर अपने कपडे उतारे और कमर में अंगोछा बाँध लिया। तब वे परात में पानी भरकर अपने शिष्यों के पैर धोने और कमर में बँधें अँगोछे से उन्हें पोछने लगे। जब वे सिमोन पेत्रुस के पास पहुचे तो पेत्रुस ने उन से कहा, ''प्रभु! आप मेंरे पैर धोते हैं?'' ईसा ने उत्तर दिया, ''तुम अभी नहीं समझते कि मैं क्या कर रहा हूँ। बाद में समझोगे।'' पेत्रुस ने कहा, ''मैं आप को अपने पैर कभी नहीं धोने दूँगा''। ईसा ने उस से कहा, ''यदि मैं तुम्हारे पैर नहीं धोऊँगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं रह जायेगा। इस पर सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, ''प्रभु! तो मेरे पैर ही नहीं, मेरे हाथ और सिर भी धोइए''। ईसा ने उत्तर दिया, ''जो स्नान कर चुका है, उसे पैर के सिवा और कुछ धोने की जरूरत नहीं। वह पूर्ण रूप से शुद्व है। तुम लोग शुद्ध हो, किन्तु सब के सब नहीं।'' वे जानते थे कि कौन मेरे साथ विश्वास घात करेगा, इसलिये उन्होंने कहा- तुम सब के सब शुद्ध नहीं हो।

उनके पैर धोने के बाद वे अपने कपडे पहनकर फिर बैठ गये और उन से बोले, ''क्या तुम लोग समझते हो कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? तुम मुझे गुरु और प्रभु कहते हो और ठीक ही कहते हो, क्योंकि मैं वही हूँ। इसलिये यदि मैं- तुम्हारे प्रभु और गुरु- ने तुम्हारे पैर धोये है तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिये। मैंने तुम्हें उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया वैसा ही तुम भी किया करो।"









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