रोमः वाटिकन अधिकारी ने भेदभाव सम्बन्धी पश्चिमी प्रवृत्ति की निन्दा की
जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालय में वाटिकन के प्रतिनिधि तथा परमधर्मपीठीय
पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थोमासी ने वाटिकन रेडियो से की बातचीत में भेदभाव
सम्बन्धी पश्चिमी प्रवृत्ति की निन्दा की तथा इसे ख़तरनाक निरूपित किया।
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि पश्चिम में धर्म को दकियानूसी बताने तथा उसका उपहास करने की भ्रामक प्रवृत्ति
है जो ख़तरनाक है। उन्होंने कहा कि धर्म को दकियानूसी बताया जाता है तथा कहा जाता है
कि इससे विकास एवं वैज्ञानिक प्रगति में बाधा आती है। उन्होंने कहा, "यूरोपीय संघ सहित
ऐसे अनेक अधिकारी, दल एवं विचारधाराएँ हैं जो धर्म को आधुनिकता में आनेवाली बाधा मानते
हैं।" महाधर्माध्यक्ष के अनुसार ऐसी मनोवृत्ति "अधिकांश विश्वासी जनता के विरुद्ध भेदभावों
को उत्पन्न करती है।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पश्चिम की वह जन संस्कृति
जो धर्म का उपहास करती है वह समाज की सेवा नहीं कर रही है अपितु उसके भविष्य के लिये
समस्याएँ खड़ी कर रही है।
महाधर्माध्यक्ष ने प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता
के अधिकार की पुनर्पुष्टि की तथा इस बात पर खेद व्यक्त किया कि विश्व के कई क्षेत्रों
में प्रायः ख्रीस्तीय धर्मानुयायी भेदभाव का शिकार बनाये जाते हैं।
उन्होंने
कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय का दायित्व है कि वह इन प्रश्नों पर गम्भीरतापूर्वक विचार
करे। साथ ही शिक्षा एवं मीडिया की भूमिका को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया और कहा कि चरमपंथ,
धर्मान्धता एवं ऱूढिवाद को समर्थन देकर घृणा को भड़कानेवाले उदाहरणों एवं पाठ्यपुस्तकों
का बहिष्कार करना अनिवार्य है।