2010-03-30 12:43:33

वाटिकन सिटीः जॉन पौल द्वितीय का विश्वास चट्टान के सदृश कहना बेनेडिक्ट 16 वें का


"शारीरिक दुर्बलता ने कभी भी स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के विश्वास को प्रभावित नहीं किया था"।

स्व. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय के निधन की पाँचवी बरसी पर सोमवार को वाटिकन में ख्रीस्तयाग अर्पण के दौरान प्रवचन करते हुए सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने उक्त बात कही। सन् 1978 से काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष पद पर बने रहे सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय का निधन दो अप्रैल सन् 2005 को हो गया था, जो इस वर्ष गुड फ्रायडे के दिन पड़ेगा।

अपने प्रवचन में सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने कहा कि जॉन पौल द्वितीय का सम्पूर्ण जीवन उदारता के चिन्हों से भरा था और इसीलिये उन्होंने अपने आप को बिलाशर्त उदारतापूर्वक अन्यों के कल्याण के लिये समर्पित रखा था।

सन्त पापा ने कहा, "उन्हें प्रेरित करनेवाली शक्ति ख्रीस्त के प्रति उनका विपुल एवं बिलाशर्त प्रेम था जिनके लिये उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया था। ईश्वर के प्रति अपने प्रेम के कारण ही वे वर्तमान मानव के साथ चल सके तथा ईश प्रेम की ख़ुशबू को जन जन में फैला सके।"

सन्त पापा ने कहा कि जॉन पौल के निकट सहयोगी, जीवित प्राणियों की भूमि में प्रभु की भलाई पर, उनके निश्चयात्मक चिन्तन को महसूस कर सके थे। यह निश्चयात्मकता जीवन के हर क्षण जॉन पौल के साथ रही और इस धरती पर उनकी तीर्थयात्रा के अन्तिम समय में वह, विशेष रूप से, प्रकाशमान हुई।

बेनेडिक्ट 16 वें ने इस बात पर बल दिया कि सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की नित्य बढ़ती शारीरिक दुर्बलता ने कभी भी उनके चट्टान सदृश विश्वास, उदीयमान आशा एवं उनकी भक्तिमय उदारता को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया था। उन्होंने अपने आप को ख्रीस्त के लिये, कलीसिया के लिये तथा सम्पूर्ण विश्व के लिये अर्पित कर दिया था। वे उस जीवन के प्रतीक हैं जो प्रेम के ख़ातिर एवं प्रेम के साथ अन्त तक पीड़ा सहता है।










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