पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की रक्षा करने की अपील
पाकिस्तानी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के एक अधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया
है कि अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की रक्षा करने के लिए वह पाकिस्तान की सरकार पर दबाव डाले।
सामाजिक सम्प्रेषण संबंधी पाकिस्तानी धर्माध्यक्षीय समिति के सचिव फादर जोन शकीर नदीम
ने कहा कि पाकिस्तान में ईसाई पीड़ित हैं और प्रतिदिन अपने जीवन को खतरे में देखते हैं।
कुछ क्षेत्रों में विश्वासियों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता है, वे दासता में
जीवन जीते हैं तथा हिंसा, प्रताडना और बलात धर्मांतरण का सामना करते हैं। उन्होंने कहा
कि निर्धन परिवारों को हत्या की धमकी देकर ईसाई युवतियों का अपहरण करने की व्यापक प्रवृत्ति
दिखाई देती है। अपहरण करने के बाद युवतियों का बलात विवाह और धर्मांतरण कराया जाता है।
अधिकारियों की उदासीनता की अनेक गैर सरकारी संगठन भर्त्सना करते हैं। उन्होंने कहा कि
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति भिन्न है। शहरों में रहनेवाले ईसाई यद्यपि शिक्षा
सामाजिक सेवा और रोजगार उनके पास हैं लेकिन कोलोनियों में रहते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों
में रहनेवाले ईसाईयों की स्थिति तो बहुत भिन्न है। वे निधर्न, वंचित, अशिक्षित हैं तथा
बहुसंख्यक मुसलमानों के अत्याचारों को सहते हैं। उनपर बहुत बार ईशनिन्दा का झूठा आरोप
लगाया जाता है तथा उनके सामने धर्म परिवर्तन, महिलाओं के खिलाफ हिंसा तथा धन सम्पत्ति
से वंचित किये जाने का खतरा बना रहता है। पाकिस्तान की आबादी 159.6 मिलियन का मात्र
0.7 प्रतिशत काथलिक हैं।