अपोस्तोलिक पेनिटेनसियरी द्वारा आयोजित फोरम के प्रतिभागियों के लिए संत पापा का संदेश
(वाटिकन सेदोक वी आर) अपोस्तोलिक पेनिटेनसियरी रोमी कार्यालय का वह विभाग है जो पापों
की क्षमा संबंधी मुददों के लिए उत्तरदायी है। संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें ने इस विभाग
द्वारा आयोजित आंतरिक फोरम के प्रतिभागियों को 11 मार्च को सम्बोधित करते हुए कहा कि
पुरोहितों को पापस्वीकार संस्कार सम्पन्न होनेवाली पीठिका को ऐसे स्थान के रूप में स्वीकार
करना चाहिए जहाँ मेलमिलाप के संस्कार का समारोह मनाया जाता और ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा
को जीया जाता है क्योंकि यहाँ पर विश्वासी दिव्य करूणा की उपस्थिति में दया, सांत्वना
और सलाह पाते तथा ईश्वर के द्वारा प्रेम किये जाने और उनके द्वारा समझे जाने के अनुभव
को पाते हैं।
आर्स के पल्ली पुरिहित संत जोन मेरी वियन्नी के निधन की 150 वी
पु्ण्यतिथि पर आयोजित सेमिनार के बारे में संत पापा ने कहा कि हम पुरोहित मेलमिलाप के
संस्कार से समाप्त न होनेवाले विश्वास के बारे में न केवल यह सीख सकते हैं जो कि हमारे
मेषपालीय चिंताओं के केन्द्र में इसे रखने के लिए प्रोत्साहन देता है बल्कि मुक्ति के
संवाद की पद्धति भी जिसके द्वारा हम दिव्य करूणा और प्रेम को अनुभव कर सकते हैं। वर्तमान
समय के सांस्कृतिक संदर्भ को देखते हुए संत पापा ने कहा कि सापेक्षवादी और ईश्वर रहित
होने की मानसिकता हावी है जहाँ ईश्वर तथा पाप के भाव की अनुपस्थिति को महसूस किया जाता
है। इसी प्रकार कि परिस्थिति में आर्स के पवित्र पुरोहित ने प्रार्थना के बल पर लोगों
को ईश्वर, ख्रीस्त के साथ निजी और गहन संबंध, पवित्र ख्रीस्तयाग, यूखरिस्तीय आराधना,
प्रेरितिक निर्धनता तथा मेलमिलाप के संस्कार की ओर लाया।
संत पापा ने पुरोहितों
को मेल मिलाप संस्कार देने हेतु स्वयं को उदारतापूर्वक उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन
देते हुए कहा कि ख्रीस्तयाग में येसु ख्रीस्त स्वयं को पुरोहितों के हाथों में रखते हैं
और अपनी प्रजा के मध्य सतत उपस्थित रहते हैं उसी तरह मेलमिलाप संस्कार में वे पुरोहितों
पर वह अनुभव देने के लिए निर्भर होते हैं जिसे पिता के पास वापस लौटनेवाले ऊड़ाऊ पुत्र
को प्राप्त होता है- प्रतिष्ठा और पूर्ण एकात्मता की पुर्न स्थापना।