न्यू यॉर्कः वाटिकन द्वारा महिला विकास में बाधा उत्पन्न करनेवाली विचारधारा का खण्डन
परमधर्मपीठ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार "लैंगिक समानतान" की अवधारणा महिलाओं की उन्नति
में बाधा उत्पन्न करती है।
न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों
में वाटिकन के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे ने यह विचार सोमवार
को, महिलाओं की स्थिति का अवलोकन करनेवाले आयोग के 54 वें सत्र में प्रकट किया। आयोग
15 वर्ष पूर्व सम्पन्न बैजिंग सम्मेलन की समीक्षा कर रहा है।
महाधर्माध्यक्ष
ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि शिक्षा एवं राजनीति के क्षेत्रों में स्त्री
एवं पुरुष के अधिकारों में समानता के सन्दर्भ में "लैंगिक समानता" की बात की जाती है
तथापि यह साबित हो चुका है वैचारिक स्तर पर ही इस तरह की बात होती है जबकि वास्तव में
इससे महिलाओं के विकास में विलम्ब हो रहा है।
महाधर्माध्यक्ष ने खेद व्यक्त किया
कि हाल में लिंग पर प्रकाशित लगभग सभी दस्तावेज़ों में लिंग शब्द की व्याख्या ग़लत ढंग
से की गई है जिसमें महिलाओं की विशिष्ठता तथा महिला एवं पुरुष के बीच सम्पूरकता पर बिलकुल
भी ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार महिलाओं को उनके अधिकार कभी भी
नहीं मिल पायेंगे तथा उनकी प्रतिष्ठा पर गम्भीर प्रहार होता रहेगा।
महाधर्माध्यक्ष
ने इस बात की भी शिकायत की कि महिलाओं पर हर सम्मेलन, हर अन्तरराष्ट्रीय सुलह एवं प्रस्ताव
में केवल यौन एवं प्रजनन अधिकार की बात की जाती है जबकि उनके सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक
अधिकारों की बात बहुत कम की जाती है। उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं को उनके अधिकारों से
सम्मानित करना है तो उनके अखण्ड विकास पर ध्यान देना होगा जिसके लिये राजनैतिक प्रतिबद्धता
एवं संकल्प की नितान्त आवश्यकता है।