देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ करने से पूर्व संत पापा बेनेडिक्ट 16 वें द्वारा दिया
गया संदेश
श्रोताओ रविवार 7 मार्च को संत पापा बेनेडिक्ट 16 वे ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण
में उपस्थित देश विदेश से आये हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को देवदूत संदेश प्रार्थना
का पाठ करने से पूर्व उन्हें इताली भाषा में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा-
अतिप्रिय
भाईयो और बहनो,
चालीसाकाल के तीसरे रविवार की पूजनधर्मविधि में हमारे सामने मनपरिवर्तन
का विषय प्रस्तुत किया गया है। पहले पाठ में जो कि निर्गमन ग्रंथ से लिया गया है मूसा,
जब अपनी भेड़ों को चरा रहा है तो उसने देखा कि झाड़ी में आग तो लगी है किन्तु वह भस्म
नहीं हो रही है। मूसा जब इस अनोखी बात को देखने के लिए निकट जाता है तब एक आवाज उसका
नाम पुकार कर कहती है और अयोग्य होने के प्रति जागरूक होने का निमंत्रण देते हुए उसे
अपने पैरों से जूते उतार देने को कहती है क्योंकि वह जहाँ खड़ा है वह पवित्र भूमि है।
वह आवाज कहती है- मैं तुम्हारे पिता का ईश्वर हूँ, इब्राहीम, इसहाक तथा याकूब का ईश्वर।
मेरा नाम सत् है।
हम में से प्रत्येक जन के जीवन में ईश्वर स्वयं को भिन्न तरीके
से प्रदर्शित करते हैं। उनकी उपस्थिति को पहचानने के लिए हमें अपनी दयनीय अवस्था के प्रति
जागरूक होते हुए उनके समीप गहन सम्मान की भावना में जाना होगा। इसके अतिरिक्त अन्य कोई
भी तरीका हमें उनसे मिलने में तथा उनके साथ सामुदायिकता के भाव में प्रवेश करने में असमर्थ
बनायेगा। जैसा कि प्रेरित संत पौलुस लिखते हैं- यह घटना भी हमारे लिए बतायी गयी है। यह
हमें स्मरण कराती है कि ईश्वर स्वयं को उनके लिए प्रकट नहीं करते हैं जिन्में पर्याप्त
होने और चपलता का भाव है लेकिन वे स्वयं को उनके लिए प्रकट करते हैं जो निर्धन हैं और
उनके सामने विनम्र हैं।
आज के सुसमाचार पाठ में हम देखते हैं कि पोन्तुस पिलातुस
के आदेश पर मन्दिर में कुछ गलीलियों के मारे जाने पर या सिलोआम की मीनार के गिरने से
जो व्यक्ति दब कर मर गये इन कुछ दुःखद घटनाओं के बारे में येसु से सवाल पूछे जाते हैं।
इस आसान सारांश के सामने कि बुराई दैवीय सज़ा का प्रभाव है, येसु ईश्वर की यथार्थ छवि
जो भले हैं और बुराई की कामना नहीं करते हैं को फिर से स्थापित करते हैं तथा लोगों को
इस प्रकार नहीं सोचने की चेतावनी देते हैं कि ये विपत्तियाँ उनलोगों द्वारा सही गयी
निजी दोषभावना का तत्क्षण प्रभाव भी नहीं है। कहते है- क्या तुम समझते हो कि ये गलीली
अन्य सब गलीलियों से अधिक पापी थे क्योंकि उनपर ही ऐसी विपत्ति पड़ी ऐसा नहीं है, मैं
तुमसे कहता हूँ कि यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे तो सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे। येसु
इन तथ्यों की भिन्न प्रकार से व्याख्या करने को कहते हैं। इन्हें मनपरिवर्तन से जोड़ते
हैं- दुर्भाग्य, विपत्तियाँ, दुःखद घटनाएँ, हममें जिज्ञासा उत्पन्न नहीं करें या दोषी
समझे गये लोगों को हम खोजें लेकिन ये हमारे लिए चिंतन करने के अवसर हों, ईश्वर के बिना
जीवन जीने के दिखावे के भ्रम पर विजय पाने का अवसर हों तथा ईश्वर की सहायता से हमारे
जीवन को बदलने के समर्पण को मजबूती प्रदान करें। पाप के सामने ईश्वर स्वयं को दया से
पूर्ण दिखाते हैं। वे पापियों को बुराई से बचने का आह्वान करने में असफल नहीं रहते हैं।
वे उनके प्रेम तथा जरूरत में पड़े पड़ोसी की ठोस सहायता करने के मनोभाव में बढ़ने, खुशी
की कृपा को जीने तथा अनन्त मृत्यु के खतरे से बचने का हमें आह्वान करते हैं। लेकिन मनपरिवर्तन
की संभावना में यह शामिल है कि हम विश्वास के प्रकाश में, ईश्वर के प्रति पवित्र भय से
प्रेरणा पाकर अपने जीवन की घटनाओं को पढ़ सकें।
पीड़ा और दुःख की उपस्थिति में
यथार्थ विवेक है कि स्वयं के अस्तित्व की तथा मानव इतिहास को ईश्वर की आँखों से पढे़
जो हमेशा अपनी संतान की केवल भलाई चाहते हैं, यदा कदा उन्हें पीड़ा का सामना करने देते
हैं ताकि और अधिक भलाई की दिशा में ले जा सकें।
प्रिय मित्रो, पवित्रतम माँ
मरियम से हम प्रार्थना करें जो चालीसाकाल की तीर्थयात्रा में हमारे साथ हैं, प्रत्येक
ईसाई की सहायता करें ताकि वे पूरे दिल से ईश्वर की ओर लौट आयें। बुराई का परित्याग करने
तथा विश्वास सहित अपने जीवन में ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करने के हमारे दृढ़ संकल्प
को वह बनाये रखे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत संदेश प्रार्थना का पाठ
किया और सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।