आदिवासी विनाशी योजना का विरोध करेगी चर्च - धर्माध्यक्ष जोन बारवा
भुवनेश्वर 8 मार्च, 2010 सोमवार (उकान) चर्च ने उड़ीसा के क्योंझर, सुन्दरगंढ़ और जगदीशपुर
जिलों में स्थापित होने वाली कोरियन पोहांग आयरन एंड स्टील कम्पनी (पोस्को) के करोड़ों
रुपये की लागत वाली योजना का विरोध किया है। राऊरकेला के धर्माध्यक्ष जोन बारवा ने
उकान समाचार को बताया कि वे समुदाय के विनाश करने वाली किसी भी योजना का विरोध करते हैं।
उन्होंने कहा कि वे ऐसी योजनायें का जो लोगों को खानाबादोश बनाती हैं उन्हें कदापि
स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस योजना के लागू होने से 1 हज़ार 600 एकड़ भूमि
में जीवन यापन कर रहे लोग विस्थापित हो जायेंगे। इस स्टील प्लांट योजना के अंतर्गत आयरन
माइनिंग, स्टील प्रोसेसिंग प्लांग और प्राईवेट पोर्ट बनाने की योजना है। इस योजना
को सुन्दरगढ़, क्योंझर और समुद्री किनारे के जगदीशपुर जिले के लोगों ने कड़ा विरोध किया
है। कई स्थानों में लोगों ने अपनी ज़मीन को बचाने के लिये चौकसी बढ़ा दी है। मसजिद
एक्का नामक एक स्थानीय आदिवासी नेता ने कहा है कि वे ‘जल, जंगल और ज़मीन’ की रक्षा के
लिये लड़ाई जारी रखेंगे। उनका मानना है कि यह योजना विकाश के नाम पर आदिवासी एवं दलितों
को समूल उखाड़ फेंकने का एक षडयंत्र है। फादर निकोलस बारला ने उकान समाचार को बताया
कि इस प्रस्तावित योजना से सिर्फ सुन्दरगढ़ के 42 हज़ार 4 सौ 93 लोग विस्थापित होंगे।
इनमें से 32 हज़ार 44 लोग आदिवासी और दलित हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है
कि इस योजना को कार्यरूप देने से जलवायु पर भी प्रतिकूल असर होगा। ज्ञात हो कि स्टील
कंपनी की योजना के अनुसार 2 हज़ार 700 एकड़ भूमि में फैले जंगल को साफ किया जायेगा। एक
युवा कार्यकर्ता नुरुसिगहो बेहरा ने अपना अपनी आशंका व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर स्टील
प्लांट योजना को कार्यरूप दिया गया तो “ हमारी भूमि, मकान, धान के खेत, पान की दाखलता,
काजू के पौधे, वन, नदी, तालाब और समुद्री किनारा हम से छीन लिया जाएगा।"
जन शक्ति
अभियान के प्रफुल समान्तराय ने कहा कि इस योजना से जंगल में रहने वाले पशु-पक्षी विशेषकर
कछुवे, डोल्फिन, गीदड़ और अन्य जीव-जन्तुओं के जीवन को भी भारी खतरा पैदा हो गया है।
उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने से उस क्षेत्र में
चक्रवात की तीव्रता में वृद्धि होगी। अखिल भारतीय ईसाई परिषद के सचिव जोन दयाल ने
कहा है कि काथलिक कलीसिया को चाहिये वे ऐसी वृहत योजना का विरोध करें जो पर्यावरण को
नष्ट करते तथा आदिवासियों और मानव मर्यादा के हित के लिये नहीं हैं।