रोमः तीन दिवसीय सम्मेलन में खानाबदोशों के पक्ष में कलीसिया की प्रेरिताई पर विचार विमर्श
रोम में मंगलवार, दो मार्च से, आप्रवासियों एवं यात्रियों की प्रेरिताई हेतु गठित परमधर्मपीठीय
समिति के तत्वाधान में खानाबदोश जाति के पक्ष में कलीसिया की प्रेरिताई पर विचार विमर्श
के लिये तीन दिवसीय सम्मेलन जारी है।
सम्मेलन का उदघाटन करते हुए समिति के अध्यक्ष
महाधर्माध्यक्ष अन्तोनियो मरिया वेल्यो ने खानाबदोशों की सेवा के लिये ज़िम्मेदार यूरोपीय
समितियों के निर्देशकों से कहा कि यह स्वीकार करते हुए कि खानाबदोशों के साथ अतीत में
भेदभाव होता रहा है कलीसिया उन्हें मातृ सुलभ मैत्री अर्पित करना चाहती है। उन्होंने
कहा कि खानाबदोशों की सेवा के लिये कलीसियाई एवं नागर संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय एवं
सहयोग की खोज करना सम्मेलन का उद्देश्य है।
महाधर्माध्यक्ष ने इस बात को स्वीकार
किया कि यूरोप में खानाबदोशों के आगमन के आरम्भिक काल से ही उन्हें भेदभाव एवं हिसा का
शिकार बनाया गया। इस सन्दर्भ में उन्होंने नाज़ी काल के दमन चक्र, बाल्कन प्रदेश का जाति
सफाया तथा अभी भी रॉम जाति के घुमक्कड़ों पर निरन्तर जारी अत्याचारों को गिनाया। महाधर्माध्यक्ष
ने स्वीकार किया कि अतीत में कलीसिया भी इस सिलसिले में ग़लत रही है तथा उसके भी बहुत
से अन्धकारपूर्ण कोने हैं तथापि उन्होंने कहा कि सन्त पापा पौल षष्टम जैसी कलीसिया की
वे हस्तियाँ भी हैं जिन्होंने लोगों में ख़ानाबदोश जाति के बारे में व्याप्त भ्रामक धारणाओं
को दूर करने का अथक प्रयास किया है।
रोम के उपनगर पोमेत्सिया स्थित खानाबदोश
बस्ती में सन्त पापा पौल की भेंट के अवसर कहे उनके शब्दों को उद्धृत कर महाधर्माध्यक्ष
ने कहा, "कलीसिया में आपका स्वागत है, आपकी प्रतीक्षा है, यहाँ आप हाशिये पर नहीं बल्कि
कलीसिया के केन्द्र हैं, आप उसका अंग हैं। आप उस कलीसिया के हृदय में निवास करते हैं
जो निर्धनों, पीड़ितों, दीन हीन तथा परित्यक्तों से प्यार करती है।"
महाधर्माध्यक्ष
ने कहा कि सन्त पापा पौल के उक्त शब्दों ने कलीसिया तथा ख़ानाबदोशों के बीच वार्ता एवं
पुनर्मिलन की एक नई यात्रा आरम्भ की थी जिसपर हम सबको दृढ़तापूर्वक अग्रसर होते रहना
चाहिये।
ग़ौरतलब है कि विश्व में खानाबदोशों की संख्या लगभग तीन करोड़ साठ
लाख है जिनमें से पचास प्रतिशत भारत में जीवन यापन करते हैं। यूरोप में इनकी संख्या लगभग
एक करोड़ बीस लाख है।