भारतः गुजरात नरसंहार के आठ वर्ष बाद न्याय का आह्वान
गुजरात के सिटीज़न्स फॉर जसटिस एण्ड पीस (सीजेपी) ने गुजरात नरसंहार के आठ साल बाद, पीड़ितों
की स्मृति में, रविवार 28 फरवरी को, एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जिसमें डेढ़ हज़ार
से अधिक नागरिक उपस्थित हुए।
सी.जे.पी. के तत्वाधान में आयोजित प्रार्थना समारोह
के अवसर पर एक खुला पत्र भी जारी किया गया जिसमें राष्ट्रीय अधिकारियों एवं मीडिया से
सच का पर्दाफाश करने तथा अपराधियों को न्यायोचित दण्ड दिये जाने का अनुरोध किया गया।
नागरिकों के पत्र में विगत वर्षों में हुई जाँचपड़ताल एवं इसमें आई समस्याओं
का अवलोकन किया गया। पत्र में गुजरात सरकार की इसलिये निन्दा की गई कि केन्द्रीय सरकार
एवं सर्वोच्च न्यायालय के अनुरोध के बावजूद वह नरसंहार की स्वतंत्र जाँच का विरोध करती
रही है। मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं ने गुजरात राज्य सरकार पर सच को छिपाने का आरोप भी
लगाया है।
ग़ौरतलब है कि 27 फ़रवरी 2002 को हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जानेवाली
साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था जिसमें 58 हिदुओं की मृत्यु
हो गई थी। इस आक्रमण के लिये मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराकर हिन्दु चरमपंथियों ने गुजरात
के कई हिस्सों में मुसलमानों का कत्ले आम शुरु कर दिया था जिसमें कम से कम ढाई हज़ार
मुसलमानों की हत्या हो गई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार नरसंहार के दौरान कई लोग ग़ायब हो
गये थे जिनके शरीर अभी तक नहीं मिले हैं। इसके अतिरिक्त 61 हज़ार मुसलमान एवं 10,000
हिन्दु बेघर एवं विस्थापित हो गये थे।