2010-03-03 20:26:55

बुधवारीय - आमदर्शन समारोह के अवसर पर
संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें का संदेश
3 मार्च, 2010


वाटिकन सिटी, 3 मार्च, 2010 बुधवार (सेदोक) बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें ने पौल षष्टम् सभागार में एकत्रित हज़ारों तीर्थयात्रियों को विभिन्न भाषाओं में सम्बोधित किया। उन्होंने कहा


प्रिय भाइयो एवं बहनों, आज की धर्मशिक्षामाला में हम मध्ययुगीन ख्रीस्तीय संस्कृति के बारे में चिन्तन करते हुए संत बोनावेन्तुरा के जीवन के बारे में विचार करें।

संत बोनावेन्तुरा, संत फ्रांसिस असीसी के आरंभिक शिष्यों में से एक थे जिन्होंने एक ईशशास्त्री के रूप में पेरिस के विश्वविद्यालय में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

संत बोनावेन्तुरा ने फ्रांसिस्कन और दोमिनिकन धर्मसमाज को उस समय बचाया जब उनके धर्मसमाज के ‘कैरिज़म’ या विशिष्ट वरदानों की प्रामाणिकता पर विवाद उठ खड़ा हुआ था।

उन्होंने कहा कि धर्माधिकारीगण धर्मसमाजी जीवन के सच्चे प्रतिनिधि हैं जो आज्ञापालन, निर्धनता और शुद्धता के निर्देशों को पालन करते हुए येसु का नज़दीकी से अनुसरण करते हैं।

संत बोनावेन्तुरा को बाद में माइनर फ्राइअर्स का मिनिस्टिर जेनरल बनाया गया। उन्होंने 17 सालों तक मिनिस्टर जेनरल के रूप में अपनी सेवायें दीं।

विदित हो कि यह काल फ्रांसिस्कन धर्मसमाज के विस्तार का समय था और कई लोगों ने धर्मसमाज की विशिष्टताओं की सत्यता के बारे में प्रश्न किये थे।

संत बोनावेन्तुरा ने अपनी बौद्धिक क्षमता के बल पर अपने धर्मसमाज के सदस्यों को नियमों के आधार पर जीवन समर्पित करने के लिये प्रेरित किया।

उन्होंने संत फ्रांसिस की जीवनी समाज के सामने प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने फ्रांसिस को ‘दूसरा ख्रीस्त’ के रूप में प्रस्तुत किया है।

इसमें संत फ्रांसिस को ऐसे भक्त के रूप में बताया गया है जो येसु का अनुसरण बहुत ही करीबी से करते थे। इस प्रस्तुति के फलस्वरूप फ्रांसिस्कनों का अपने धर्मसमाज के विशिष्ट वरदानों के प्रति आस्था बढ़ी।

संत बोनावेतुरा को बाद में कार्डिनल बनाया गया और उनकी मृत्यु लियोन्स की महासभा के समय हो गयी।

आज संत बोनावेन्तुरा के विचार हमें प्रेरित करें ताकि हम येसु को सच्चे मन-दिल से प्यार करें, ईश्वर के दर्शन के लिये तरसते रहें और एक दिन स्वर्गीय अनन्त सुख से सहभागी बनें।

इतना कहकर संत पापा ने अपना संदेश समाप्त किया



उन्होंने नाइजिरिया, जापान और अमेरिका के तीर्थयात्रियों, उपस्थित लोगों, विद्यार्थियों तथा उनके परिवार के सब सदस्यों पर प्रभु की कृपा और शांति की कामना की और उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।









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